नानक

नानक के अर्थ :

नानक के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सिक्खों के आदि गुरु

Noun, Masculine

  • the first preceptor of Sikhism.

नानक के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पंजाब के एक प्रसिद्ध महात्मा जो सिख संप्रदाय के आदि गुरु थे

    विशेष
    . इनका जन्म रावी नदी के किनारे तिलौंडा नामक गाँव में (आधुनिक रायपुर) संवत् १५२७ में कार्तिकी पूर्णिमा को एक खत्रीकुल में हुआ था । इनके पिता का नाम कालू था । लड़कपन ही से ये सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे । ऐसा प्रसिद्ध है कि पिता ने एक बार इन्हें ४०) नमक खरीदने के लिये दिए । पे नमक खरीदने चले पर बीच में कुछ भूखे साधु मिले और इन्होंने सब रुपयों का अन्न लेकर उन्हें खिला दिया । इन्हें काम काज के योग्य न देख पिता ने इन्हें इनकी बहिन के पास सुलतानपुर (कपुरथले में) नामक स्थान में भेज दिया । वहाँ का नबाब उस समय दिल्ली के बादशाह इब्राहीम लोदी का संबंधी दौलत खाँ नामक पठान था । उसके यहाँ ये मोदीखाने में नौकर हुए । वहाँ भी इन्होंने साधुओं को खिलाना अरंभ किया जिससे इनपर रुपया खाने का आरोप लगाया गया । पर जव हिसाब लिया गया तब सब ठीक उतरा । इनका विवाह सोलह वर्ष की अवस्था में गुरुदासपुर जिले के अंतर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहनेवाले मूला की कन्या सुलक्ष्मी से हुआ था । जिस समय ये दौलत खाँ के यहाँ थे उसी समय ३२ वर्ष की अवस्था में इनके प्रथम पुत्र हरीचंद्र का जन्म हुआ । चार वर्ष पीछे दूसरे पुत्र लखमीदास का जन्म हुआ । दोनों लड़कों के जन्म के उपरांत नानक ने घरबार छोड़ दिया और मरदाना, लहना, बाला और रामदास इन चार साथियों को लेकर वे भ्रमण के लिये निकल पड़े । ये चारों ओर घूमकर उपदेश करने लगे । इनके उपदेश का सार यही होता था कि ईश्वर एक है उसकी उपासना हिंदू मुसलमान दोनों के लिये है । मुर्तिपुजा, बहुदेवोपासना को ये अनावश्यक कहते थे । हिंदु और मुसलमान दोनों पर इनके मत का प्रभाव पड़ता था । लोगों ने तत्कालीन इब्राहीम लोदी से इनकी शिकायत की और ये बहुत दिनों तक कैद रहे । अंत में पानीपत की लड़ाई में जब इब्राहीम हारा और बाबर के हाथ में राज्य गया तब इनका छुतकारा हुआ । पिछले दिनों में इनकी ख्याति बहुत बढ़ गई और इनके विचारों में भी परिवर्तन हुआ । स्वयं विरक्त होकर ये अपने परिवारवर्ग के साथ रहने लगे और दान पुण्य, भंडारा आदि करने लगे । जलंधर जिले में इन्होंने कर्तारपुर नामक एक नगर बसाया और एक बड़ी धर्मशाला उसमें बनवाई । इसी स्थान पर आश्वन कृष्ण १०, संवत् १५९७ को इनका परलोकवास हुआ । यह सिखों का एक पवित्र स्थान है ।

    उदाहरण
    . नानक का जन्म पश्चिमी पंजाब में 15 अप्रैल 1469 को हुआ था

नानक के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सिक्खों के आदि गुरु. ( संवत् 1526- 1597 ) में मूर्तिपूजा और बहु देवोपासना के विरोधी तथा एकेश्वरवाद के प्रतिपादक

नानक के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सिक्ख सम्प्रदाय के संस्थापक और आदि गुरु।

सब्सक्राइब कीजिए

आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।

क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा