ङ के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

ङ के हिंदी अर्थ

  • व्यंजन वर्ण का पाँचवाँ और कवर्ग का अंतिम अक्षर, यह स्पर्श वर्ण है और इसका उच्चारण स्थान कंठ और नासिका है तथा इसमें संवार, नाद, घोष और अल्पप्राण नामक प्रयत्न लगते हैं

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सूँघने की शक्ति
  • गंध, सुगंध
  • शिव का एक नाम, भैरव
  • इंद्रियों का विषय, इंद्रियविषय
  • इच्छा, आकांक्षा, स्पृहा

ङ के अँग्रेज़ी अर्थ

  • the fifth (and nasal) consonant and the ultimate member of the first pentad (i.e. कवर्ग) of the Devna:gri alphabet. No word in use in Sanskrit or Hindi begins with this letter. It is usually found as a first member of a conjunct consonant preceded by a vo

ङ के कन्नौजी अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला के 'क' वर्ग का पाँचवाँ और अंतिम वर्ण. इसका उच्चारण - स्थान कण्ठ और नासिका है. इस वर्ण से कोई भी शब्द प्रारम्भ नहीं होता है

ङ के कुमाउँनी अर्थ

अव्यय

  • अचेत व्याकुल व्यक्ति की की अस्फुट हुंकार groan. २- संशय बोधक प्रश्नात्मक ध्वनि जिसका तात्पर्य क्या ऐसा है यह? ३-हां या नहीं स्पष्ट उत्तर देने की स्थिति में न होने से प्रकट की गई ध्वनि

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