nirodh-pariNaam meaning in hindi

निरोध-परिणाम

  • स्रोत - संस्कृत

निरोध-परिणाम के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • योग शास्त्र के अनुसार चित्तवृत्ति की वह अवस्था जो व्युत्थान और निरोध के मध्य में होती है

    विशेष
    . योगशास्त्र में क्षिप्त,मुढ़, विक्षिप्त इन तीन राजसिक परिणामों को व्युत्थान कहते हैं और विशुद्ब सत्वगुण की प्रधानता होने पर जो अवस्था प्राप्त होती है उसे निरोध कहते हैं । जब वयुत्थान से उत्पन्न संस्कारों का अंत हो जाता है और निरोध का आरंभ होने को होता है तब चित्त का थोड़ा थोड़ा संबंध दोनों ओर रहता है । उस अवस्था की निरोधपरिणाम कहते है ।

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