निष्क

निष्क के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

निष्क के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वैदिक काल का एक प्रकार का सोने का सिक्का या मोहर जिसका मान भित्र भित्र समयों में भिन्न भिन्न था

    विशेष
    . प्राचीन काल में यज्ञों में राजा लोग ऋषियों और ब्राह्मणों को दक्षिणा में देने के लिये सोने के बराबर तौल के टुकड़े कटवा लिया करते थे जो 'निष्क' कहलाते थे । सोने के इस प्रकार टुकड़े कराने का मुख्य हेतु यह होता था कि दक्षिणा में सब लोगों को बराबर सोना मिले, किसी के पास कम या ज्यादा न चला जाय । पीछे से सोने के इन टुकडों पर यज्ञस्पतूप आदि के चिन्ह और नाम आदि बनाए या खोदे जाने लगे । इन्हीं टुकड़ों ने आगे चलकर सिक्कों का रूप घारण कर लिया । उस समय कृछ लोग इन टुकड़ों को गूँथकर और उनकी माला बनाकर गले में भी पहनते थे । भिन्न भिन्न समयों में निष्क का मान नीचे लिखे अनुसार था । एक निष्क&nbsp=&nbspएक कर्ष (१६ माशे) " " = " सुवर्ण " " " = " दीनार , " " = " पल (४ या ५ सुवर्ण) " " = चार माशे " " = १०८ अथवा १५० सुवर्ण ।

  • प्राचीन काल में चाँदी की एक प्रकार की तौल जो चार सुवर्ण के बराबर होती थी
  • वैद्यक में चार माशे की तौल , टंक
  • सुवर्ण , सोना
  • सोने का बरतन
  • हीरा
  • निर्गम , बाहर जाना , प्रस्थान (को॰)
  • चांडाल (को॰)
  • सोने की एक तौल जो १०८ या १५० सुवर्ण की होती थी (को॰) ९
  • गले में पहनने का एक स्वर्णा- भूषण (को॰)

निष्क के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

निष्क के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • सोना

    उदाहरण
    . निष्क पदिक अरु बच पुनि, हीरा बन जु ऐन ।

निष्क के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • एक प्राचीन स्वर्णमुद्रा

Noun

  • an ancient gold coin.

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