पपीहा

पपीहा के अर्थ :

  • स्रोत - हिंदी
  • अथवा - पपिहा, पपीहरा

पपीहा के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • पक्षी विशेष , चातक

पपीहा के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a typical species of Cuckoo (which finds usual mention in Indian love-songs as exemplifying the ideal of love-lorn beings)—Cucculus nelanoleucus

पपीहा के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वर्षा और वसंत ऋतु में सुरीली ध्वनि में बोलने वाला एक पक्षी जो प्रायः आम के पेड़ों पर बैठकर बड़ी सुरीली ध्वनि में बोलता है, चातक

    विशेष
    . देशभेद से यह पक्षी कई रंग, रूप और आकार का पाया जाता है । उत्तर भारत में इसका डील प्रायः श्यामा पक्षी के बराबर और रंग हलका काला या मटमैला होता है । दक्षिण भारत का पपीहा डील में इससे कुछ बड़ा और रंग में चित्रविचित्र होता है । अन्यान्य स्थानों में और भी कई प्रकार के पपीहे मिलते हैं, जो कदाचित् उत्तर और दक्षिण के पपीहे की संकर संतानें हैं । मादा का रंगरूप प्रायः सर्वत्र एक ही सा होता है । पपीहा पेड़ से नीचे प्रायः बहुत कम उतरता है और उसपर भी इस प्रकार छिपकर बैठा रहता है कि मनुष्य की दृष्टि कदाचित् ही उसपर पड़ती है । इसकी बोली बहुत ही रसमय होती है और उसमें कई स्वरों का समावेश होता है । किसी किसी के मत से इसकी बोली में कोयल की बोली से भी अधिक मिठास है । हिंदी कवियों ने मान रखा है कि वह अपनी बोली में 'पी कहाँ....? पी कहाँ....?' अर्थात् 'प्रियतम कहाँ हैं'? बोलता है । वास्तव में ध्यान देने से इसकी रागमय बोली से इस वाक्य के उच्चारण के समान ही ध्वनि निकलती जान पड़ती है । यह भी प्रवाद है कि यह केवल वर्षा की बूँद का ही जल पीता है, प्यास से मर जाने पर भी नदी, तालाब आदि के जल में चोंच नहीं डुबोता । जब आकाश में मेघ छा रहे हों, उस समय यह माना जाता है कि यह इस आशा से कि कदाचित् कोई बूँद मेरे मुँह में पड़ जाय, बराबर चोंच खोले उनकी ओर एक लगाए रहता है । बहुतों ने तो यहाँ तक मान रखा है कि यह केवल स्वाती नक्षत्र में होनेवाली वर्षा का ही जल पीता है, और गदि यह नक्षत्र न बरसे तो साल भर प्यासा रह जाता है । इसकी बोली कामोद्दीपक मानी गई है । इसके अटल नियम, मेघ पर अन्यय प्रेम और इसकी बोली की कामोद्दीपकता को लेकर संस्कृत और भाषा के कवियों ने कितनी ही अच्छी अच्छी उक्तियाँ की है । यद्यपि इसकी बोली चैत से भादों तक बराबर सुनाई पड़ती रहती है; परंतु कवियों ने इसका वर्णन केवल वर्षा के उद्दीपनों में ही किया है । वैद्यक में इसके मांस को मधुर कषाय, लघु, शीतल कफ, पित्त, और रक्त का नाशक तथा अग्नि की वृद्धि करनेवाला लिखा है ।

  • सितार के छह तारों में से एक जो लोहे का होता है
  • आल्हा के बाप का घोड़ा जिसे माँड़ा के राजा ने हर लिया था
  • दे॰ 'पपैया'

पपीहा के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

पपीहा के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • चातक (एक पक्षी)

पपीहा के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • महोबे का एक प्रसिद्ध घोड़ा. 2. हल्के काले रंग का एक प्रसिद्ध पक्षी जो बसंत और पावस में मीठे बोल पी. कहाँ.. पी. कहाँ बोला करता है, चातक. 3. सितार का पक्का तार

पपीहा के मगही अर्थ

  • एक प्रसिद्ध पक्षी जिसकी सुरीली आवाज वसंत और वर्षा ऋतुओं में सुनी जाती है, चातक

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