पयाल

पयाल के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत
  • अथवा - पइआल

पयाल के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • 'पाताल'

    उदाहरण
    . सब सुख सरग पयाल कै, तोल तराजू बाहि । हरि सुख एक पलक्क का, ता सम कह्या न जाइ ।

  • धान, कोदो, आदि के सूखे डंठल जिसके दाने झाड़ लिए गए हों , पुराल
  • धान आदि के सूखे डंठल जिनमें से दाने निकाल लिए गए हों
  • पुआल; पयाल; धान; कोदो के वे डंठल जिनसे दाने झाड़ लिए गए हों
  • एक तरह का वृक्ष जिसके फल खट-मीठे होते हैं
  • धान, कोदों आदि के सूखे हुए ऐसे डंठल जिनमें से दाने झाड़ लिये गये हों, पुराल, पुआल, पियरा, मुहा०-पयाल गाहना या झाड़ना = (क) ऐसा श्रम करना जिसका कुछ फल न हो, व्यर्थ मेहनत करना, उदा०-फिरि फिरि कहा पयारहि गाहे, -सूर, (ख) ऐसे व्यक्ति की सेवा करना जिससे कुछ लाभ न हो सकता हो
  • उक्त पेड़ का बीज, पुं० [सं० पाताल] १. पाताल; गहराई, उदा०-पैसि पियाल काली नाग नाथ्यो, -मीराँ, पुं० = पयाल
  • चिरौंजी का पेड़, पयार

पयाल से संबंधित मुहावरे

  • पयाल गाहना

    ऐसा श्रम करना जिसका कुछ फल न हो, व्यर्थ मेहनत करना

पयाल के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • coarse straw (used as fodder)

पयाल के मालवी अर्थ

पियाल

संज्ञा, पुल्लिंग

  • नदी में का गहरा और विकट स्थल, दह, पाताल जैसा

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