phaasapharas meaning in hindi

फासफरस

  • स्रोत - ग्रीक

फासफरस के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पाश्चात्य रासाय- निकों के द्वारा जाना हुआ एक अत्यंत ज्वलनशील मूल द्रव्य जिसमें धातु का कोई गुण नहीं होता और जो अपने विशुद्ध रूप में कहीं नहीं मिलता—आक्सीजन, कैलसियम और मैगनेशियम के साथ मिला हुआ पाया जाता है

    विशेष
    . इसका प्रसार संसार में बहुत अधिक है क्योंकि यह सृष्टि के सारे सजीव पदार्थों के अंगविधान में पाया जाता है । वनस्पत्तियों, प्राणियों के हड्डियों, रक्त, मूत्र, लोभ आदि में यह व्याप्त रहता है । बहुत थोड़ी गरमी या रगड़ पाकर यह जलता है । हवा में खुला रखने से यह धीरे धीरे जलता है और लहसुन की सी गंधभरी भाप छोड़ता है । अँधेरे में देखने से उसमें सफेद लपट दिखाई पड़ती है । यदि गरमी अधिक न हो तो यह मोम की तरह जमा रहता है और छुरी से काटा या खुरचा जा सकता है, पर १०८ मात्रा का ताप पाकर यह पिघलने लगता है और ५५० मात्रा के ताप में भाप बनकर उड़ जाता है । यह बहुत सी धातुओं के साथ मिल जाता है और उनका रूपांतर करता है । इसे तेल या चरबी में घोलने पर ऐसा तेल तैयार हो जाता है जो अँधेरे में चमकता है । दियासलाई बनाने में इसका बहुत प्रयोग होता है । और भी कई चीजें बनाने में यह काम आता है । औषध के रूप में भी यह बहुत दिया जाता है क्योंकि डाक्टर लोग इसे बुद्धि का उद्दीपक और पुषट मानते हैं । ताप के मात्राभेद से फासफरस का गहरा रूपातंर भी हो जाता है । जैसे, बहुत देर तक २१२ मात्रा की गरमी से कुछ कम गरमी में रखने से यह लाल फासफरस के रूप में हो जाता है । तब यह इतना ज्वलनशील और विषैला नहीं रह जाता और हाथ में अच्छी तरह लिया जा सकता है ।

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