phuul meaning in kannauji
फूल के कन्नौजी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- पुष्प. 2. फूल की शक्ल का बेल बूटा. 3. बत्ती का जला हुआ अंश. 4. श्वेत कुष्ठ दाग. 5. किसी चीज के फूलने की क्रिया या भाव, जैसे शरीर का फूल जाना. 5. नाक का एक आभूषण. 6. बैलगाड़ी. 7. पीतल आदि की घुंडी. 8. शव दाह के बाद रहने वाला अस्थि अवशेष. 9. सार. 10. पहली बा
फूल के हिंदी अर्थ
संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग
-
गर्भाधानवाले पौधों में वह ग्रंथि जिसमें फल उत्पन्न करने की शक्ति होती है और जिसे उदिभदों की जननेद्रिय कह सकते हैं , पुष्प , कुसुम , सुमन
विशेष
. बड़े फूलों के पाँच भाग होते है । —कटोरी, हरा पुट, दल (पंखड़ी) गर्भकेसर ओर परागकेसर । नाल का वह चौड़ा छोर, जिसपर फूल का सारा ढाँचा रहता है, कटोरी कहलाता है । इसी के चारों ओर जो हरी पत्तियों सी हीती हैं उनके पुट के भीतर कली की दशा में फूल बंद रहता है । ये आवरणपत्र भिन्न भिन्न पौधों में भिन्न भिन्न आकार प्रकार के होते है । घुंड़ी के आकार का जो मध्य भाग होता है उसके चारों ओर रंग विरंग के दल निकले होते हैं जिन्हें पंखड़ी कहते है । फूलों की शोभा बहुत कुछ इन्ही रँगीली पंखड़ियों के कारण होती है । पर यह ध्यान रखना चाहिए कि फूल में प्रधान वस्तु बीच की घुंड़ी ही है । जिसपर पराग- केसर और गर्भकेसर होते है । क्षुद कोटि के पोधों में पुट, पंखड़ी आदि कुछ भी नहीं होती, केवल खुली घुंड़ी होती है । वनस्पति शास्त्र की द्दष्टि से तो घुंड़ी ही वास्तव में फूल है और बाकी तो उसकी रक्षा या शोभा के लिये है । दोनों प्रकार के केसर पतले सूत्र के आकार के होते हैं । परागकेसर के सिरे पर एक छोटी टिकिया सी हीती है जिसमें पराग या घुल रहती है । यह परागकेसर पुं॰ जननेंद्रिय है । गर्भकेसर बिलकुल बीच में होते है जिनका निचला भाग या आधार कोश के आकार का होता है । जिसकै भीतर गर्भांड़ बंद रहते हैं और ऊपर का छोर या मुँह कुछ चौढ़ा सा होता है । जब परागकेसर का पराग झड़कर गर्भकेसर के इस मुँह पर पड़ता है तब भीतर ही भीतर गर्भ कोश में जाकर गर्भाड़ को गर्भित करता है, जिससे धीरे धीरे वह बीज के रूप में परिणत होता है और फल की उत्पत्ति होती है । -
फुल के आकार के बेल बूटे या नक्काशी
उदाहरण
. मनि फूल रचित मखतूल की झूलन जाके तूल न कोउ । -
फूल के आकार का गहना जिसे स्त्रियाँ कई अंगों में पहनती है , जैसे, करनफूल, नकफूल, सीसफूल
उदाहरण
. पायल औ पगपान सुनूपूर । चुटकी फूल अनौठ सुभूपुर । . पुनि नासिक भल फूल अमोला । —जायसी (शब्द॰) । . कानन कनक फूल छबि देहीं । - चिराग की जलती बत्ती पर पड़े हुए गोल दमकते दाने जो उभरे हुए मालूम होते हैं , गुल
- आग की चिनगारी , स्फुलिंग , क्रि॰ प्र॰— पड़ना
- पीतल आदि की गोल गाँठ या घुंड़ी जिसे शोभा के लिये छड़ी, किवाड़ के जोड़ आदि पर जड़ते हैं , फुलिया
- सफेद या लाल धब्वा जो कुष्ठ रोग के कारण शरीर पर जगह जगह पड़ जाता है , सफेद दाग , श्वेत कुष्ठ , क्रि॰ प्र॰— पड़ना
- सत्त , सार , जैसे, अजवायन का फूल , क्रि॰ प्र॰— निकालना , —उतारना ९
-
वह मद्य जो पहली बार का उतरा हो , कड़ी देशी शराब
विशेष
. यह शराब बहुत साफ होती है और जलाने से जल उठती है । इसी की फिर खींचकर दोआतशा बनाते है ।उदाहरण
. थोड़ो ही सी चाखिया भाँड़ा पीया धोय । फूल पियाला । जिन पिया रहे कलालाँ सोय । - आटे चीनी आदि का उत्तम भेद
- स्त्रियों का वह रक्त जो मासिक धर्म में निकलता है , रज , पूष्प , क्रि॰ प्र॰— आना
- गर्भाशय
- धुटने या पैर की गोल हड्डी , चक्की , टिकिया
- वह हड्डी जो शव जलाने के पोछे बच रहती , है और जिसे हिदु किसी तीर्थस्थान या गंगा में छोड़ने के लिये ले जाते हैं , क्रि॰ प्र॰— चुनना
- सूखे हुए साग या भाँग की पत्तियाँ (बोलचाल) , जैसे,— मेथी के दो फुल दे देना
- किसी पतली या द्रव पदार्थ को सुखाकर जमाया हुआ पत्तर वा वरक , जैसे, स्याही के फूल
- मथानी के आगे का हिस्सा जो फूल जो फुल के आकार का होता है
-
एक मिश्र या मिलाजुली धातु जो तांबे और राँगे के मेल से बनती है
विशेष
. यह धातु उजली औ स्वच्छ चाँदी के रंग की हीती है और इसमें रखने से दही या और खट्टी चाजें नहीं बिगड़ती । अच्छा फूल 'बेधा' कहलाता है । साधारण फूल में चार भाग ताँबा ओर एक भाग राँगा होता है पर बेधा फूल में १०० भाग ताँबा और २७ भाग राँग होता है और कुछ चाँदी भी पड़ती है । यह धातु बहुत खरी होती है और आघात लगने ��र चट टुट जाती है । इसके लोटे, कटोरे, गिलास, आबखोरे आदि बनते हैं । फूल काँसे से बहुत मिलता जुलता है पर काँसे से इसमें यह भेद है काँसे में ताँबे के साथ जस्ते का मेल रहता है और उसमें खट्टी चीजें बिगड़ जाती है ।
फूल के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएफूल के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएफूल से संबंधित मुहावरे
फूल के अंगिका अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- पुष्प, शरीर पर का सफेद चिन्ह एक प्रकार का गहना, दीपक का गुल चिनगारी, तांबे और रांगे के मेल से बनी हुई एक मिश्र धातु, योनी के अन्दर का उभरा हुआ नुकिला भाग
फूल के कुमाउँनी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- फूल, पुष्प, कुसुम
फूल के गढ़वाली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- पुष्प
Noun, Masculine
- flower
फूल के बघेली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- काँसा धातु
फूल के बुंदेली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- सुमन, पुष्य, फूल जैसे बेलबूटे या आभूषण, शव दाह के पश्चात् बची हड्डियाँ, कोढ़ के दाग, मथानी का एकभाग
फूल के ब्रज अर्थ
फूल', फूर
पुल्लिंग
- पुष्प ; फूल के आकार-प्रकार की रचना; एक प्रकार की धातु ; दीपक की जलती हुई बत्ती पर गोल उभरे हुए दमकते दाने; श्वेत कुष्ठ; गर्भाशय; मासिक- धर्म में निकलने वाला रज , ८. पैर या घुटने की गोल हड्डी ९. शव जलाने के बाद मृत शरीर की बची हुई ह
अकर्मक क्रिया, स्त्रीलिंग, अकर्मक
- वृक्ष आदि के विकसित होने की क्रिया ; प्रसन्नता, हर्ष
- पुष्पित होना ; विकसित होना; प्रसन्न होना; गवं का अनुभव करना; हवा भरने से गेंद आदि का फूलना; सूजना ; स्थूल होना
फूल के मगही अर्थ
अरबी ; संज्ञा
- वनस्पति का वह अंग जिसमें फल लगते हैं, पुष्प; फूल कोबी; नाक अथवा कान में पहनने का एक आभूषण, नकफूल, कनफूल, ताटंक; तांबा और रांगा मिलाकर बनी एक मिश्रित धातु जिसके बरतन आदि बनते हैं (वि. फुलहा) शरीर पर का उजला या लाल दाग; चरक; कोढ़, दीपक की बत्ती में धुएँ
फूल के मैथिली अर्थ
संज्ञा
- पुष्पा
- एक मिश्रित धातु, उत्तम कोटिक काँस
Noun
- flower.
- an alloy used in making dish and cup.
फूल के मालवी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- पुष्प, फूल, क्रि. फूलना, हल्का।
अन्य भारतीय भाषाओं में फूल के समान शब्द
पंजाबी अर्थ :
फुल्ल - ਫੁੱਲ
गुजराती अर्थ :
फूल - ફૂલ
कुसुम - કુસુમ
अस्थि - અસ્થિ
हाडकु - હાડકુ
उर्दू अर्थ :
फूल - پھول
गुल - گل
कोंकणी अर्थ :
फूल
आस्थी
फूल के तुकांत शब्द
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