प्रकृति

प्रकृति के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

प्रकृति के मैथिली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • स्वभाव, सहज प्रवृत्ति, आदत
  • भौतिक जगत, संसार
  • (व्याकरण) वह मूल शब्द जिसमें प्रत्यय लगते हैं
  • सहज अवस्था

Noun, Feminine

  • character, disposition, tendency, habit
  • nature, physical world
  • (it grammar) base
  • real/natural state; opp विकृति

प्रकृति के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Feminine

  • the nature
  • temperament, disposition
  • habit
  • genius (as of a language)

प्रकृति के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • किसी पदार्थ या प्राणी का वह विशिष्ट भौतिक सारभूत तथा सहज व स्वाभाविक गुण जो उसके स्वरूप के मूल में होता है और जिसमें कभी कोई परिवर्तन नहीं होता, मूल या प्रधान गुण जो सदा बना रहे, तासीर

    उदाहरण
    . ताप उत्पन्न करना और जलाना अग्नि की प्रकृति है। . जानवरों का शिकार करके पेट भरना और चीतों और शेरों की प्रकृति है। . आलू की प्रकृति गरम है। . जन्म लेना और मरना प्राणी मात्र की प्रकृति है।

  • मनुष्यों का वह चारित्रिक मूलभूत गुण, तत्व या विशेषता जो बहुत-कुछ जन्मजात तथा प्रायः अविकारी होती है, स्वभाव, मिज़ाज

    विशेष
    . इसमें उन सभी आकांक्षाओं, प्रवृत्तियों, वासनाओं आदि का अंतर्भाव होता है जिनके वश में रहकर मनुष्य सब प्रकार के काम करते हैं और जिनके फलस्वरूप उनका चरित्र अथवा जीवन बनता-बिगड़ता है।

    उदाहरण
    . वह प्रकृति से ही उदार या दयालु था। . वह बड़ी खोटी प्रकृति का मनुष्य है।

  • वह मूल शक्ति जिससे अनेक रूपात्मक जगत का विकास हुआ है, विश्व की रचना या सृष्टि करने वाली मूल नियामक तथा संचालन शक्ति, जगत का मूल बीज, जगत् का उपादान कारण, कु़दरत

    विशेष
    . अधिकतर दार्शनिक, ‘प्रकृति’ को ही सारी सृष्टि का एक मात्र उपादान कारण मानते हैं। पर सांख्यकार ने कहा है कि इसके साथ एक दूसरा तत्व ‘पुरुष’ नाम का भी होता है। जिसके सहयोग से प्रकृति सब प्रकार की सृष्टियाँ करती है। भौतिक जगत् में हमें जो कुछ दिखाई देता है, वह सब इसी का परिणाम या विकार माना जाता है। इसी में सत्व, रज और तम नामक तीनों गुणों का अधिष्ठान कहा गया है। आध्यात्मिक क्षेत्रों और विशेषतः वेदांत में इसे परमात्मा या विश्वात्मा की मूर्तिमती इच्छा-शक्ति के रूप में माना गया है, और इसे ‘माया’ का रूपांतर कहा गया है। कभी-कभी इसका प्रयोग ईश्वर के समानक के रूप में भी होता है।

  • वह सारा दृश्य जगत जिसमें हमें पशु-पक्षियों, वनस्पतियाँ आदि अपने मौलिक या स्वाभाविक रूप में दिखाई देती हैं, चराचर जगत

    उदाहरण
    . वहाँ प्रकृति की छटा देखने ही योग्य थी।

  • राजा, आमात्य, जनपद, दुर्ग, कोश, दंड और मित्र इन सात अंगों से युक्त राष्ट्र या राज्य

    विशेष
    . इसी को शुक्रनीति में 'सप्तांग' राज्य' कहा गया है। इसमें राजा की सिर से, आमात्य की आँख से, मित्र की कान से, कोश की मुख से, दंड़ या सेना की भुजा से, दुर्ग की हाथ से और जनपद की पैर से उपमा दी गई है।

  • राज्य के अधिकारी कार्यकर्ता जो आठ कहे गए हैं
  • परवर्ती दार्शनिक क्षेत्र में पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, मन, बुद्धि और अहंकार इन आठों का समूह
  • वैद्यक में शारीरिक रचना और प्रवृत्ति के आधार पर मनुष्य की मूल स्थितियाँ के ये सात विभाग—वातज, पित्तज, कफ़ज, वात-पित्तज, वात कफ़ज, कफ़-पित्तज और समधातु
  • कर्मकांड में वह प्रतिमान या मानक रूप जिसे देखकर उसी तरह की और रचनाएँ प्रस्तुत की जाती हों
  • जीवन यापन का वह सरल और सहज प्रकार जिस पर आधुनिक सभ्यता का प्रभाव न पड़ा हो और जो निरोधक प्रतिबंधों से बहुत-कुछ मुक्त या रहित हो

    उदाहरण
    . जंगली जातियाँ सदा प्रकृति की गोद में ही खेलती और पलती हैं।

  • सृष्टि के मूलभूत पाँच तत्व, पंचमहाभूत
  • स्त्री या पुरुष की जननेंद्रिय
  • जीवनक्रम
  • परमात्मा
  • माया
  • नारी, स्त्री
  • माता, जननी
  • आकृति, रूप
  • प्रजा, रिआया
  • कारीगर, शिल्पकार
  • एक छंद जिसमें 21, 21 अक्षर प्रत्येक चरण में हों
  • व्याकरण में वह मूल शब्द जिसमें प्रत्यय लगते हैँ
  • (गणित में) निरूपक, गुणक
  • पशु, जंतु

प्रकृति के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • स्वभाव, मिज़ाज
  • माया
  • प्रजा
  • चराचर, संसार

प्रकृति के ब्रज अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • स्वभाव
  • माया
  • परमात्मा

अन्य भारतीय भाषाओं में प्रकृति के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

प्रकिरती - ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ

कुदरत - ਕੁਦਰਤ

गुजराती अर्थ :

कुदरत - કુદરત

तबियत - તબિયત

धर्म - ધર્મ

प्रकृति - પ્રકૃતિ

स्वभाव - સ્વભાવ

उर्दू अर्थ :

क़ुदरत - قدرت

फ़ितरत - فطرت

कोंकणी अर्थ :

सैम

निसर्ग

प्रकृती

सभाव

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