prithu meaning in maithili
पृथु के मैथिली अर्थ
विशेषण, आलंकारिक
- पसरल, चौरस, चापट
- प्रचुर, पुष्ट
Adjective, Classical
- flat, stretched.
- ample.
पृथु के अँग्रेज़ी अर्थ
Adjective
- wide, large
- expensive
- spacious, copious
पृथु के हिंदी अर्थ
विशेषण
- चौड़ा, विस्तृत
- बड़ा, महान्
- अधिक, अगणित, असंख्य
- कुशल, चतुर, प्रवीण
- स्थूल, मोटा
- प्रभूत, प्रचुर
संज्ञा, पुल्लिंग
- एक हाथ का मान, दो बालिश्त की लंबाई
- अग्नि
- विष्णु
- शिव का एक नाम
- एक विश्वदेवा का नाम
- चौथे मन्वंतर के एक सप्तर्षि का नाम
- पुराणानुसार एक दानव का नाम
- तामस मन्वंतर के एक ऋषि का नाम
- इक्ष्वाकु वंश के पाँचवें राजा का नाम जो त्रिशंकु का पिता था
-
राजा वेणु के पुत्र का नाम
विशेष
. पुराणों में कहा है कि जब राजा वेणु मरे, तबः उनके कोई संतान नहीं थी। इसलिए ब्राह्मण लोग उनके हाथ पकड़कर हिलाने लगे। उस समय उन हाथों में से एक स्त्री और एक पुरूष उत्पन्न हुआ। ब्राह्मणों ने उस पुरुष का नाम 'पृथु' रखा और उस स्त्री को उनकी पत्नी बनाया। इसके उपरांत सब ब्रह्माणों ने मिलकर पृथु का राज्याभिषेक किया और उन्हों पृथ्वी का स्वामी बनाया। उस समय पृथ्वी में से अन्न उत्पन्न होना बंद हो गया जिससे सब लोग बहुत दुःखी हुए। उनका दुःख देखकर पृथु ने पृथ्वी पर चलाने के लिए कमान पर तीर चढ़ाया। यह देखकर पृथ्वी गो का रूप धारण करके भागने लगी और जब भागती भागती थक गई तब फिर पृथु की शरण में आई और कहने लगी कि ब्रह्मा ने पहले मुझ पर जो ओषधियाँ आदि अत्पन्न की थीं उनका लोग दुरुपयोग करने लगे, इसलिए मैंने उन सबको अपने पेट में रख लिया है। अब आप मुझे दुहकर व सब ओषधियाँ निकाल लें। इस पर पृथु ने मनु को बछड़ा बनाया और अपने हाथ पर पृथ्वीरूपी गौ से सब ओषधियाँ दुह लीं। इसके उपरांत पंद्रह ऋषियों ने भी बृहस्पति को बछड़ा बनाकर अपने कानों में वेदमय पवित्र दूध दुहा और तब दैत्यों दानवों गंधर्वों अप्सराओं, पितरों, सिदधों, विद्याधरों खेचरों, किन्नरों, मायावियों, यक्षों, राक्षसों, भूतों और पिशाचों आदि ने अपनी अपनी रुचि के अनुसार सुरा, आसव, सुंदरता, मधुरता, कव्य, अणिमा आदि सिद्धियाँ, खेचरी विद्या, अंतर्धान विद्या, माया, आसव, बिना फन के साँप, बिच्छू आदि अनेक पदार्थ दुहे। इसके उपरांत पृथु ने संतुष्ट होकर पृथ्वी को 'दुहिता' कहकर संबोधन किया और तब उसके बहुत से पर्वतों आदि को तोड़कर इसलिये सम कर दिया जिसमें वर्षा का जल एक स्थान पर रुक न जाए, और तब उसपर अनेक नगर और गाँव आदि बसाए। पृथु ने ९९ यज्ञ किए थे। जब वे सौवाँ यज्ञ करने लगे तब इंद्र उनके यज्ञ का घोड़ा लेकर भागे। पृथु ने उनका पीछा किया। इंद्र ने अनेक प्रकार के रूप धारण किए थे जिनसे जैन, बौद्ध और कापालिक आदि मतों की सृष्टि हुई। पृथु ने इंद्र से अपना घोड़ा छीनकर उसका नाम 'विजिताश्व' रखा। पृथु उस समय इंद्र को भस्म करना चाहते थे पर ब्रह्मा ने आकर दोनों में मेल करा दिया। यज्ञ समाप्त करके पृथु ने सनत्कुमार से ज्ञान प्राप्त किया और तब वे अपनी स्री को साथ लेकर तपस्या करने के लिये वन में चले गए। वहीं उन्होंने योग के द्वारा आपने इस भोगशरीर का अंत किया।
संज्ञा, स्त्रीलिंग
- काला जीरा
- हिंगुपत्री
- अहिफेन, अफीम
पृथु के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएपृथु के तुकांत शब्द
संपूर्ण देखिएपृथु के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएपृथु के ब्रज अर्थ
विशेषण
- महान्
- विस्तीर्ण, स्थूल
- अधिक
- चतुर
- महत्वपूर्ण
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