ऋषभ

ऋषभ के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

ऋषभ के ब्रज अर्थ

विशेषण, पुल्लिंग

  • बैल ; संगीत के सात स्वरों में से दूसरा ; एक प्रकार की जड़ी; विष्णु का एक अवतार
  • श्रेष्ठ

ऋषभ के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • बैल , वृषभ

    विशेष
    . पुरुषर्षभ= . पुरुषश्रेष्ठ । २ . पुरुष या नर आदि शब्दों के आगे उपमान रूप में समस्त होने से सिंह, व्याघ्र आदि शब्दों के समान यह शब्द भी श्रेष्ठ का अर्थ देता है । जैसे,—

  • नक्र या नाक नामक जलजंतु की पूँछ
  • राम की सेना का एक बंदर
  • बैल के आकार का दक्षिण का एक पर्वत जिस पर हरिश्याम नामक चंदन होता है (वाल्मीकीय)
  • संगीत के सात स्वरों में से दूसरा

    विशेष
    . इसकी तीन शृतियाँ हैं—दयावती, रंजनी और रतिका । इसकी जाति क्षत्रिय, वर्ण पीला, देवता ब्रह्मा, ऋतु शिशिर, वार सोम, छंद गायत्री तथा पुत्र मालकोश है । यह स्वर बैल के समान कहा जाता हैं पर कोई इसे चातक के स्वर के समान मानते हैं । नाभि से उठकर कंठ और शीर्ष को जाती हुई वायु से इसकी उत्पत्ति होती है । ऋषभ (कोमल) के स��वरग्राम बनाने से विकृत स्वर इस प्रकार होते हैं— ऋषभ स्वर । गांधार—ऋषभ । तीव्र मध्यम—गांधार । पंचम—मध्यम । धैवत—पंचम । निषाद—धैवत । कोमल ऋषभ—निषाद । ५

  • लहसुन की तरह की एक ओषधि या जड़ी जो हिमालय पर होती है , इसका कंद मधुर, बलकारक और कामोद्दीपक होता है
  • नर जानवर , जैसे,—अजर्षभ=बकरा (को॰)
  • वारह की पूँछ (को) ९
  • विष्णु का एक अवतार (को॰)

ऋषभ के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • वृषभ
  • सङ्गीतक द्वितीय स्वर. रि

Noun

  • buil.
  • Second note of Indian musical scale.

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