राजा

राजा के अर्थ :

राजा के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • शासक

    विशेष
    . कहावत- राजा करन की पारी- राजा कर्ण पहर, अर्थात् दान का समय, सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण के समय भंगी बसोर दान माँगते समय कहते हैं।

राजा के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a king, monarch, prince
  • willingness
  • well-being
  • darling

राजा के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • किसी देश, जाति या जत्थे का प्रधान शासक जो उस देश, जाति या जत्थे को नियम से चलाता, उसमें शांति रखता तथा उसकी और उसके स्वत्वों की दूसरों के आक्रमण से रक्षा करता है, वह जो किसी राज्य या भू-खंड का पूरा मालिक हो और उसमें बसने वाले लोगों पर सब प्रकार के शासन करता हो तथा उन्हें अपने नियंत्रण में रखता हो और दूसरे राजाओं के आक्रमणों आदि से रक्षित रखता हो, बादशाह, नरेश, अधिराज

    विशेष
    . महाभारत से पता चलता है कि पहले मनुष्यों में न तो कोई शासक था और न दंडकर्ता। सब लोग धर्मपूर्वक मिल-जुलकर रहते थे और आपस में एक-दूसरे की रक्षा करते थे। इस प्रकार उन्हें न तो किसी शसन की आवश्यकता होती थी और न शासक की, पर यह सुव्यवस्था बहुत दिनों तक न रह सकी। लोगों के चित्त में विकार उत्पन्न हो गया, जिससे वे कर्तव्यपालन में शिथिल हो गए। उनमें सहानुभूति न रही और लोभ, मोह आदि कुवासनाओं ने उन्हें घेर लिया। सब लोग विषय-वासना में ग्रस्त हो गए और वैदिक कर्मकांड का लोप हो गया। इससे स्वर्ग में देवता घबराए और दौड़े हुए ब्रह्मा जी पास पहुँचे। ब्रह्मा जी ने उन्हें आश्वासन दिया और मनुष्यों की शासन व्यवस्था के लिए एक लाख अध्यायों का एक बृहद् ग्रंथ बनाया। देवता लोग उस ग्रंथ को लेकर विष्णु के पास पहुँचे और उनसे प्रार्थना की कि आप किसी ऐसे पुरुष को आज्ञा दीजिए, जो मनुष्यों को इस शास्त्रानुसार चलाए। विष्णु भगवान् ने उस शास्त्र के अनुसार शासन करने के लिए राजा की सृष्टि की। किसी-किसी पुराण के अनुसार वैवस्वत मनु और किसी के अनुसार कर्दम जी के पुत्र अंग मनुष्यों के पहले राजा हुए। पूर्व काल में मनुष्यों की इतनी अधिकता न थी और न उनकी इतनी घनी बस्तियाँ थी। एक कुल में उत्पन्न लोगों की संख्या बढ़ते-बढ़ते बहुत से जत्थे बन गए थे, जो अपने कुल के सबसे श्रेष्ठ या वृद्ध के शासन में रहते थे। वह शासक प्रजापति कहलाता था और शेष लोग प्रजा अर्थात् पुत्र। वेदों में भरत, जमदग्नि, कुशिक आदि जातियों के नाम आए हैं, जिनके पृथक्-पृथक् प्रजापति थे। इनमें से अनेक जातियाँ पंजाब आदि प्रांतों में बस गई और कृषि कर्म करने लगी। पहले तो उनमें पृथक्-पृथक् प्रजापति थे; पर धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ती गई और अनेक देश उनसे भर गए। ऐसे आर्यों को शालीन कहा है। फिर उनमें प्रजापतियों से काम न चला और भिन्न-भिन्न देशों में शांति स्थापित करने और दूसरे देशों के आक्रमण से अपनी रक्षा करने के लिए प्रजापति से अधिक शक्तिमान् एक शासक की नियुक्ति की आवश्यकता पड़ी। पहले पहल यह प्रथा भरत जाति में चली थी; इसीलिए राजसूय यज्ञ में 'भोः भारताः अर्य वः सर्वेपां राजा'। कहकर राजा को राजसिंहासन पर बैठाया जाता था। पहले यह राजा प्रजाओं के द्वारा प्रतिष्ठित होता था; और प्रजा का अहित करने पर लोग उसे पदच्युत भी कर देते थे। वेणु आदि राजाओं का पदच्युत होना इसका उदाहरण है। जब उन शालीनों में वर्ण व्यवस्था स्थापित हो गई, तब राजा का पद पैतृक हो गया और उसकी शक्ति सर्वोपरि मानी गई। मनु ने राजा को अग्नि, वायु, सूर्य, चंद्र, यम, कुबेर, वरुण और महेंद्र या इंद्र की मात्रा या अंश से उत्पन्न लिखा है और उसे चार वर्णों का शासक कहा है। ज्यों-ज्यों प्रजाओं की शक्ति धीमी पड़ने लगी, त्यों-त्यों राजा का आधिकार सर्वोपरि होता गया और अंत में वह देश या राज्य का एकाधिपति स्वामी हो गया। दूसरे वर्ग के आर्यों में, जो इधर -उधर जत्थे या गण बाँधकर चलते-फिरते रहते थे और जिन्हें व्रात्य या यायावर कहते थे, प्रजापति की प्रथा बनी रही और यही प्रजापति गणनाथ बन गया। ऐसे आर्यों में न तो वर्ण की ही व्यवस्था थी और न उनमें राजा का एकाधिपत्य ही हुआ। उनमें प्रजापति राजा तो कहलाने लगा, पर वह सारा काम गण की सम्मति से करता था। ऐसे व्रात्य आर्य कोशल, मिथिला, और विहार आदि प्रांतों से आकर बसे थे और उपनिषद् या ब्रह्मविद्या के अभ्यासी थे। मिथिला के राजा जनक इन्हीं यायावर आर्यों में थे और वहाँ के व्याध भी ब्रह्मज्ञान के उपदेष्टा थे। इनसे लिच्छवि लोगों में गण की प्रथा महात्मा बुद्धदेव के काल तक प्रचलित थी, इसका पता त्रिपिटक से चलता है। राजा शब्द बहुत से शब्दों के साथ समस्त होकर आकार की बड़ाई या श्रेष्ठता भी सूचित करता है। जैसे,—राजदंत, राजमाष, राजशुक, राजशालि, इत्यादि।

  • अधिपति, स्वामी, मालिक
  • एक उपाधि जिसे अँग्रेजी सरकार बड़े रईसों, ज़मींदारों या अपने कृपापात्रों को प्रदान करती थी

    उदाहरण
    . राजा राममोहन राय, राजा शिवप्रसाद आदि।

  • वह व्यक्ति जिसके पास बहुत धन हो, धनवान् या समृद्धिशाली पुरुष, संपन्न व्यक्ति
  • वह जो किसी विशेष वर्ग, दल, क्षेत्र आदि में सर्वश्रेष्ठ हो

    उदाहरण
    . शेर जंगल का राजा होता है।

  • वह खिलाड़ी जो किसी विशेष खेल के क्षेत्र में चोटी पर या सबसे ऊपर हो
  • प्रेमपात्र, प्रिय व्यक्ति (बाजारू)
  • बादशाह के चित्र वाला ताश का एक पत्ता
  • शतरंज का एक मोहरा

राजा के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

राजा के अवधी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • शासक

राजा के कन्नौजी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • किसी देश, मंडल, जाति का शासक और नियामक, नरेश, अधिपति, स्वामी. 2. अँग्रेजी शासन के समय की एक उपाधि

राजा के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • किसी देश या जाति का प्रधान शासक और स्वामी

Noun, Masculine

  • king, lord, master

राजा के ब्रज अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • नृपति, भूप, नरेश

राजा के मगही अर्थ

हिंदी ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • राज्य या रियासत का शासक, बादशाह, भूपति
  • बड़ा ज़मींदार
  • मालिक, स्वामी
  • धनाढ्य व्यक्ति
  • पति, प्रिय व्यक्ति
  • अँग्रेजी सरकार द्वारा दी जाने वाली एक मानक पदवी

राजा के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • शासक, नरेश

Noun, Masculine

  • king

राजा के मालवी अर्थ

  • राजा, शासक, किसी राज्य या देश का प्रधान शासक।

अन्य भारतीय भाषाओं में राजा के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

राजा - ਰਾਜਾ

गुजराती अर्थ :

राजा - રાજા

नृपति - નૃપતિ

भूपति - ભૂપતિ

उर्दू अर्थ :

बादशाह - بادشاہ

राजा - راجا

कोंकणी अर्थ :

राजा

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