सावित्री

सावित्री के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

सावित्री के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • सविता(सूर्य)क स्तुतिक एक मन्त्र(गायत्री)क अधिष्ठात्री देवी

Noun

  • a Vedic goddess, the Dawn connected with गायत्री।

सावित्री के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • वेदमाता गायत्री
  • सरस्वती
  • ब्रह्मा की पत्नी जो सूर्य की पृश्नि नाम की पत्नी से उत्पत्र हुई थी
  • वह संस्कार जो उपनयन के समय होता है और जिसके न होने से ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य व्रात्य या पतित हो जाते है
  • धर्म कीपत्नी और दक्ष की कन्या
  • कश्यप चकी पत्नी
  • अष्टावक्र की कन्या
  • मद्र देश के राजा अश्वपति की कन्या और सत्यवान की सती पत्नी का नाम

    विशेष
    . पुराणों में इसकी कथा यों है । मद्र देश के धर्मनिष्ठ प्रजाप्रिय राजा अश्वपति ने कोई संतान न होने के कारण ब्रह्मचर्यपूर्वक कठिन व्रत धारण किया । वह सावित्री मंत्र से प्रतिदिन एक लाख आहुति देकर दिन के छठे भाग में भोजन करता था । इस प्रकार अठारह वर्ष बीतने पर सावित्री देवी ने प्रसन्न होकर राजा को दर्शन दिए और इच्छानुसार वर माँगने को कहा । राजा ने बहुत से पुत्रों की कामना की । देवी ने कहा कि ब्रह्मा की कृपा से तुम्हारे एक कन्या होगी जो बड़ी तेजस्विनी होगी । कुछ दिनों बाद बड़ी रानी के गर्भ से एक कन्या हुई । सावित्री की कृपा से वह कन्या हुई थी, इसलिये राजा ने इसका नाम भी सावित्री ही रखा । सावित्री अद्वितीय सुंदरी थी, पर किसी को इसका वरप्रार्थीं होते न देखकर अश्वपति ने सावित्री से स्वयं अपनी इच्छानुसार वर ढूँढकर वरण करने को कहा । तदनुसार सावित्री वृद्ध मंत्रियों के साथ तपोवन में भ्रमण करने लगी । कुछ दिनों बाद वह तीर्थों और तपोवनों का भ्रमण कर लौट आई और उसने अपने पिता से शाल्व देश में ध्युमत्सेन नामक एक प्रसिद्ध धर्मात्मा क्षत्रिय राजा थे । वे अंधे हो गए हैं । उनका एक पुत्र है जिसका नाम सत्यवान् है । एक शत्रु ने उनका राज्य हस्तगत कर लिया है । राजा अपनी पत्नी और पुत्रसहित बन में निवास कर रहे हैं । मैंने उन्हीं सत्यवान् को अपने उपयुक्त वर समझकर उन्हीं को पति वरण किया है । नारदजी ने कहा— सत्यवान में और सब गुण तो हैं, पर वह अल्पायु है । आज से एक वर्ष पूरा होते ही वह मर जायागा । इसपर भी सावित्री ने सत्यवान् से ही विवाह करना निश्चित किया । विवाह हो गया, एक वर्ष बीतने पर सत्यवान् को मृत्यु हो गई यमराज जब उसका सूक्ष्म शरीर ले चला, तब सावित्री ने उसका पीछा किया । यमराज ने उसे बहुत समझा बुझाकर लौटाना चाहा, पर उसने उसका पीछा न छोड़ा । अंत में यमराज ने प्रसत्र होकर उसकी मनस्कामना पूर्ण की । मृत सत्यवान् जीवित होकर उठ बैठा । सावित्री ने मन ही मन जो कामनाएँ की थीं, वे पूरी हुई । राजा द्युमत्सेन को पुन: दृष्टी प्राप्त गई । उसके शत्रुओं का विनाश हुआ । सावित्री के सौ पुत्र हुए । साथ ही उसके वृद्ध ससुर के भी सौ पुत्र हुए । उसने यह भी वर प्राप्त कर लिया था कि पति के साथ मैं बैकुंठ जाऊँ ।

  • यमुना नदी
  • सरस्वती नदी
  • प्लक्ष द्वीप की एक नदी
  • धार के राजा भोज की स्त्री
  • सधवा स्त्री
  • आँवला
  • प्रकाश की किरण (को॰)
  • पार्वती का एक नाम (को॰)
  • सूर्य की रश्मि (को॰)
  • अनामिका उँगली (को॰)

सावित्री के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

सावित्री के यौगिक शब्द

संपूर्ण देखिए

सावित्री के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • अश्वपति की पुत्री और सत्यवान की पत्नी

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