संन्यास

संन्यास के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

संन्यास के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • भारतीय आर्यों के चार आश्रमों में से अंतिम आश्रम , वानप्रस्थ आश्रम के पश्चात् का आश्रम

    विशेष
    . प्राचीन भारतीय आर्यों ने जीवन के चार विभाग किए थे, जो आश्रम कहलाते है । (दे॰ 'आश्रम') इनमें से अंतिम आश्रम संन्यास कहलाता है । पचीस वर्ष तक वानप्रस्थ आश्रम में रहने के उपरांत ७५ वें वर्ष के अंत में इस आश्रम में प्रवेश करने का विघान है । इस आश्रम में काम्य और नित्य आदि सब कर्म किए तो जाते है, पर बिलकुल निष्काम भाव से किए जाते हैं; किसी प्रकार के फल की आशा रखकर नहीं किए जाते । विशेष दे॰ 'संन्यासी' ।

  • भावप्रकाश के अनुसार मूर्च्छा रोग का एक भेद

    विशेष
    . यह बहुत ही भयानक कहा गया है । यह रोग प्रायः निर्बल मनुष्यों को हुआ करता है और इसमें रोगी के मर जाने की भी आशंका रहती है । साधारण मूर्छा से इसमें यह अंतर है कि मूर्च्छा में तो रोगी थोड़ी देर में आप से आप होश में आ जाता है, पर इसमें बिना औषध और चिकित्सा के होश नहीं होता ।

  • जटामासी , (अन्य अर्थों के लिये दे॰ 'सन्यास' शव्द)

संन्यास के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • त्याग, चार वर्णा- श्रम व्यवस्थाओं में अंतिम

विशेषण

  • सन्यासी-संसार-त्यागी योगी

संन्यास के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • वासना त्याग, विराग ; चतुर्थ आश्रम

संन्यास के मैथिली अर्थ

  • सांसारिक भोग-विलास विरति, वैराग्य ग्रहण
  • गार्हस्थ्यक त्याग कर चतुर्थ आश्रममे प्रवेश करब
  • retirement from worldly liabilities and activity.
  • entering fourth stage of life; becoming an ascelic.

अन्य भारतीय भाषाओं में संन्यास के समान शब्द

उर्दू अर्थ :

तर्क-ए-दुनिया - ترک دنیا

फ़क़ीरी - فقیری

पंजाबी अर्थ :

सन्निआस - ਸੱਨਿਆਸ

गुजराती अर्थ :

परित्याग - પરિત્યાગ

संन्यास - સંન્યાસ

कोंकणी अर्थ :

परित्याग

विरक्त

संन्यास

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