सरपत

सरपत के अर्थ :

सरपत के हिंदी अर्थ

संस्कृत ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • कुश की तरह की एक घास

    विशेष
    . इसमें टहनियाँ नहीं होतीं बहुत पतली (आधे जौ भर) और हाथ दो हाथ लंबी पत्तियाँ ही मध्य भाग से निकलकर चारों ओर घनी फैली रहती हैं । इसके बीच से पतली छड़ निकलती है जिसमें फूल चलगते हैं । यह घास छप्पर आदि छाने के काम में आती है ।

सरपत के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कुश की तरह की एक घास

सरपत के अवधी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • गूंजा; एक लंबी जंगली घास

सरपत के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • कुश जाति की एक जंगली घास, इसी से मूँज बनती है

सरपत के बज्जिका अर्थ

संज्ञा

  • सरकंडा

सरपत के मगही अर्थ

अरबी ; संज्ञा

  • दे. 'सरकंडा'

सरपत के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • एक नरकट

Noun

  • a reed.

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