सतावर

सतावर के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

सतावर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक झाड़दार बेल जिसकी जड़ और बीज औषध के काम में आते हैं, शतमूली, नारायणी

    विशेष
    . यह बेल भारत के प्रायः सभी प्रांतों में होती है। इसकी टहनियों पर छोटे-छोटे महीन काँटे होते हैं। पत्तियाँ सोए की पत्तियों की सी होती हैं और उनमें एक प्रकार की क्षारयुक्त गंध होती है। फूल इसके सफे़द होते हैं और गुच्छे में लगते हैं। फल जंगली बेर के समान होते हैं और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। प्रत्येक फल में एक या दो बीज होते हैं। इसकी जड़ बहुत पुष्टिकारक और वीर्यवर्धक मानी जाती है। स्त्रियों का दूध बढ़ने के लिए भी यह दी जाती है। वैद्यक में इसका गुण शीतल, मधुर, अग्निदीपक, बल कारक और वीर्यवर्द्धक माना गया है। ग्रहणी और अतिसार में भी इसका क्वाथ देते हैं।

सतावर के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Feminine

  • asparagus

सतावर के मगही अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक लता जिसकी जड़ तथा बीज दवा के काम में आते हैं

सतावर के तुकांत शब्द

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