shriiraag meaning in hindi
श्रीराग के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
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संगीत में छह रागों में से तीसरा राग जो संपूर्ण जाति का है और पृथ्वी की नाभि से उत्पन्न माना गया है
विशेष
. हनुमत के मत से यह पाँचवाँ राग है और इसका स्वर-ग्राम इस प्रकार है—सा रे ग म प ध नि सा अथवा नि ग म प ध नि सा रे। यह हेमंत ऋतु में तीसरे पहर या संध्या समय गाया जाता है। सोमेश्वर के मत से मालवी, त्रिवेणी, गौरी, केदारा, मधुमाधवी और पहाड़ी ये छह इसकी भार्याएँ या रागिनियाँ हैं; और संगीतदामोदर में गांधारी देवगांधारी, मालवश्री, साखी और रामकीरी ये पाँच रागिनियाँ कही गई हैं। सिंधु, मालव, गौड़, गुणसार, कुंभ, गंभीर, विहाग और कल्याण ये आठ इसके पुत्र कहे गए हैं।
श्रीराग के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएश्रीराग के तुकांत शब्द
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