सिवार

सिवार के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

सिवार के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • शैवाल, जल में फैलानेवाली एक घास

सिवार के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग

  • पानी में बालों के लच्छों की तरह फैलनेवाला एक तृण

    विशेष
    . यह नदियों में प्रायः होता है । इसका रंग हलका हरा होता है । यह चीनी साफ करने तथा दवा के काम में आता है । वैद्यक में यह कसैला, कडुआ, मधुर, शीतल, हलका, स्निग्ध, नमकीन, दस्तावर, घाव को भरनेवाला तथा त्रिदोष को नाश करनेवाला कहा गया है ।

    उदाहरण
    . पग न इत उत धरन पावत उरझि मोह सिवार । . चलती लता सिवार की, जल तरंग के संग । बड़वानल को जनु धरचो, धूम धूमरो रंग ।

सिवार के अवधी अर्थ

  • दे० सेवार

सिवार के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • शैवाल, पानी की घास

सिवार के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • दे० 'शैवाल'

    उदाहरण
    . पग न इत उत घरन पावत, उरझि मोह सिवार ।

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