सोरठा

सोरठा के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

सोरठा के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • अड़तालीस मात्राओं का एक छंद जिसके पहले और तीसरे चरण में ग्यारह ग्यारह और दूसरे तथा चौथे चरण में तेरह तेरह मात्राएँ होती हैं , इसके सम चरणों में जगण का निषेध है , दोहे को उलट देने से सोरठा हो जाता है , जैसे,—जेहि सुमिरत सिधि होइ, गननायक करिवर वदन , करउ अनुग्रह सोइ, बुद्धिरासि सुभ गुन सदन

    विशेष
    . जान पड़ता है, इस छंद का प्रचार अपभ्रंश काल में पहले पहल सोरठ या सौराष्ट्र देश में हुआ था, इसी से यह नाम पड़ा ।

    उदाहरण
    . छंद सोरठा सुंदर दोहा । सोइ बहुरंग कमल कुल सोहा ।

सोरठा के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • अडतालीस मात्राओं का एक छन्द

सोरठा के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • 11-13, 11-13 मात्राओं का एक छंद

सोरठा के ब्रज अर्थ

सोरठी

पुल्लिंग

  • छंद विशेष

सोरठा के मैथिली अर्थ

  • एक छन्द
  • a metre of prosody.

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