सुमेरु

सुमेरु के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

सुमेरु के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • धर्मग्रंथों में वर्णित एक पर्वत जो सब पर्वतों का राजा माना गया है जो सोने का कहा गया है

    विशेष
    . भागवत के अनुसार सुमेरु पर्वतों का राजा है। यह सोने का है। चइस भूमंडल के सात द्वीपों में प्रथम द्वीप जंबू द्वीप के जिसकी लंबाई ४० लाख कोस और चौड़ाई चार लाख कोस है- नौ वर्षों में से इलावृत नामक अभ्यंतर वर्ष में यह स्थित है। यह ऊँचाई में उक्त द्वीप के विस्तार के समान है। इस पर्वत का शिरोभाग १२८ हजार कोस, मूल देश ६४ हजार कोस और मध्यभाग चार हजार कोस का है। इसके चारों ओर मंदर, मेरुमंदर, सुपार्श्र्व और कुमुद नामक चार आश्रित पर्वत हैं। इनमें प्रत्येक की ऊँचाई और फैलाव ४० हजार कोस है। इन चारों पर्वतों पर आम, जामुन, कदंब और बड़ के पेड़ हैं जिनमें से प्रत्येक की ऊँचाई चार सौ कोस है। इनके पास ही चार हृद भी हैं जिनमें पहला दूध का, दूसरा मधु का, तीसरा ऊख के रस का और चौथा शुद्ध जल का है। चार उद्यान भी हैं जिनके नाम नंदन, चैत्ररथ, वैभ्राजक औऱ सर्वतोभद्र हैं। देवता इन उद्यानों में सुरांगनाओं के साथ विहार करते हैं। मंदरा पर्वत के देवच्युत वृक्ष और मेरुपर्वत के जंबु वृक्ष के फूल, बहुत स्थुल औऱ विराट्काय होते हैं। इनसे दो नदियाँ अरुणोदा और जंबू नदी बन गई हैं। जंबू नदी के किनारे की जमीन का मिट्टी तो रस से सिक्त होने का कारण सोना ही हो गई चहै । सुपार्श्र्व पर्वत के महाकंदब वृक्ष से जी मधुधारा प्रवाहित होती है, उसकी पान करनेवाले के मुँह से निकली हुई सुगंध चार सौ कोस तक जाति है । कुमुद पर्वत का वट वृक्ष तो कल्पतरु ही है। यहाँ के लोग आजीवन सुख भोगते हैं। सुमेरु के पूर्व जठर और देवकूट, पश्चिम में पवन और परियात्र, दक्षिण में कैलास और करवीर गिरि तथा उत्तर में त्रिशृंग और मकर पर्वत स्थित हैं। इन सबकी ऊँचाई कई हजार कोस है। सुमेरु पर्वत के ऊपर मध्यभाग में ब्रह्म की पुरी है, जिसका विस्तार हजारों कोस है। यह पूरी भी सोने की है। नृसिंहपुराण के अनुसार सुमेरु के तीन प्रधान शृंग हैं, जो स्फटिक, वैदुर्य और रत्नमय हैं। इन शृंगों पर २१ स्वर्ग हैं जिनमें देवता लोग निवास करते हैं।

  • शिव जी का एक नाम
  • जपमाला के बीच का बड़ा दाना जो और सब दोनों के ऊपर होता है, इसी से जप का आरंभ और इसी पर इसकी समाप्ति होती है
  • उत्तर ध्रुव
  • एक मात्रिक छंद

    विशेष
    . एक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में १२+५ के विश्राम से १७ मात्राएँ होती हैं, अंत में लघु गुरु नहीं होते पर यगण अत्यंत श्रुतिमधुर होता है इसकी १, ८ और १५ वीं मात्राएँ लघु होती हैं, किसी किसी ने इसके एक चरण में १९ और किसी ने २० मात्राएँ मानी हैं पर यह सर्वसंमत नहीं हैं।

    उदाहरण
    . सुमेरु के प्रत्येक चरण में सत्रह मात्राएँ होती हैं।

  • एक विद्याधर

विशेषण

  • बहुत ऊँचा
  • बहुत सुंदर

सुमेरु के यौगिक शब्द

संपूर्ण देखिए

सुमेरु के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • the mythological mountain of gold

सुमेरु के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध पर्वत

सुमेरु के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पुराणों में वर्णित तथा कथित रूप से मध्य हिमालय उत्तराखण्ड में स्थित एक महत्वपूर्ण पर्वत, हिमालय का एक श्रृंग, स्वर्णगिरि

Noun, Masculine

  • according to legends, the mountain Sumeru is supposed to the axis of the earth, it reportedly existed in middle Himalaya i.e. Uttarakhand.

सुमेरु के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक मिथकीय स्वर्णमय पर्वत जतए अपार रत्नक भण्डार अछि
  • उत्तर ध्रुव
  • जपमालामे केन्द्रीय बड़का दाना
  • (लाक्ष) मूर्धन्य

Noun, Masculine

  • a mythical mountain.
  • north pole.
  • top bead in rosary.
  • (fig) top most in any field.

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