सूरदास

सूरदास के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

सूरदास के कन्नौजी अर्थ

संज्ञा, विशेषण, पुल्लिंग

  • अंधा
  • ब्रजभाषा और श्रीकृष्ण काव्य के सर्वश्रेष्ठ कवि
  • अंधा व्यक्ति

सूरदास के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • (euphemistically) a blind person

सूरदास के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ब्रज भाषा के एक प्रसिद्ध भक्तिकालीन महाकवि और महात्मा जो अंधे थे, कृष्ण-भक्ति शाखा के प्रसिद्ध वैष्णव कवि जो 'सूर-सागर', 'साहित्य लहरी' आदि काव्य ग्रंथों के रचयिता माने जाते हैं

    विशेष
    . ये हिंदी भाषा के दो सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक हैं। जिस प्रकार रामचरित का गान कर गोस्वामी तुलसीदास जी अमर हुए हैं, उसी प्रकार श्रीकृष्ण की लीला कई सहस्र पदों में गाकर सूरदास जी भी। ये अकबर के काल में वर्तमान थे। ऐसा प्रसिद्ध है कि बादशाह अकबर ने इन्हें अपने दरबार में फतहपुर सीकरी में बुलाया, पर ये न आए। इन्होंने यह पद कहा 'मोको कहा सीकरी सों काम'। इस पर तानसेन के साथ अकबर स्वयं इनके दर्शन को मथुरा गए। इनका जन्म संवत् 1540 के लगभग ठहरता है। ये वल्लभाचार्य की शिष्य परंपरा में थे और उनकी स्तुति इन्होंने कई पदों में की है जैसे,—'भरोसो दृढ़ इन चरनन केरो। श्रीवल्लभ नखचंद्र छटा बिनु हो हिय माँझ अँधेरो'। इनकी गणना 'अष्टछाप' अर्थात् ब्रज के आठ महाकवियों और भक्तों में थी। अष्टछाप में ये कवि गिने गए हैं—कुंभनदास, परमानंददास, कृष्णदास, छीतस्वामी, गोविंद स्वामी, चतुर्भुजदास, नंददास और सूरदास। इनमें से प्रथम चार कवि तो वल्लभाचार्य जी के शिष्य थे और शेष सूरदास आदि चार कवि उनके पुत्र विट्ठलनाथ जी के। अपने अष्टछाप में होने का उल्लेख सूरदास जी स्वयं करते हैं। यथा—'थापि गोसाईं करी मेरी आठ मध्ये छाप'। विट्ठलनाथ के पुत्र गोकुलनाथ जी ने अपनी 'चौरासी वैष्णवों की वार्ता' में सूरदास जी को सारस्वत ब्राह्मण लिखा है और उनके पिता का नाम 'रामदास' बताया है। सूरसरावली में एक पद में इनके वंश का जो परिचय है, उसके अनुसार ये महाकवि चंदबरदाई के वंशज थे और सात भाई थे, पर उक्त पद के असली होने में कुछ लोग संदेह करते हैं। इनकी मृत्यु संवत् 1620 में हुई।

  • (लाक्षणिक) अंधा व्यक्ति, नेत्रहीन व्यक्ति

सूरदास के गढ़वाली अर्थ

सूरदास'

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ब्रज भाषा के एक सुप्रसिद्ध कवि

विशेषण

  • दृष्टिहीन

Noun, Masculine

  • a renowned poet of Brajbhasha

Adjective

  • (euphemistically) a blind person

सूरदास के बज्जिका अर्थ

संज्ञा

  • अन्धा

सूरदास के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • ब्रज भाषा के एक कवि जो दृष्टीहीन थे
  • एक नेत्रहीन व्यक्ति के लिए सम्मानजनक संबोधन

Noun

  • a blind saint poet of Brajbhakha.
  • Respectful term of reference/ address to a blind man.

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