स्वर

स्वर के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

स्वर के ब्रज अर्थ

पुल्लिंग

  • 'अ' से 'अ' तक के वर्णं , हिंदी वर्णमाला में ग्यारह स्वर वर्ण माने गये हैं ; आवाज , ध्वनि

    उदाहरण
    . चाँपति चरन जननि अप अपनी कछुक मधुर स्वर गाये ।

स्वर के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a vowel
  • sound, voice
  • tone
  • gamut
  • note

स्वर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • आकाश

    उदाहरण
    . परब्रह्म अरु जीव जो महानाद स्वर चारि । पंचम विदु षष्ठरु अवर माया दिव्य निहारि ।

  • प्राणी के कंठ से अथवा किसी पदार्थ पर आघात पड़ने के कारण उत्पन्न होनेवाला शब्द, जिसमें कुछ कोमलता, तीव्रता, मृदुता, कटुता, उदात्तता, अनुदात्तता आदि गुण हों , जैसे,—(क) मैंने आपके स्वर से ही आपको पहचान लिया था , (ख) दूर से कोयल का स्वर सुनाई पड़ा , (ग) इस छड़ को ठोंकने पर कैसा अच्छा स्वर निकलता है

    उदाहरण
    . लै लै नाम सप्रेम सरस स्वर कौसल्या कल कीरति गावै ।

  • संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके , सुर

    विशेष
    . यों तो स्वरों की कोई संख्या बतलाई ही नहीं जा सकती, परंतु फिर भी सुभीते के लिये सभी देशों और सभी कालों में सात स्वर नियत किए गए हैं । हमारे यहाँ इन सातों स्वरों के नाम क्रम से षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद रखे गए हैं जिनके संक्षिप्त रूप सा, रे ग, म, प, ध और नि हैं । वैज्ञानिकों ने परीक्षा करके सिद्ध किया है कि किसी पदार्थ में २५६

    उदाहरण
    . चारों भ्रातन श्रमित जानि कै जननी तब पौढ़ाए । चापत चरण जननि अप अपनी कछुक मधुर स्वर गाए ।

  • बार कंप होने पर षड्ज, २९८ २/
  • बार कंप होने पर ऋषभ,
  • बार कंप होने पर गांधार स्वर उत्पन्न होता है; और इसी प्रकार बढ़ते बढ़ते
  • बार कंप होने पर निषाद स्वर निकलता है । तात्पर्य यह कि कंपन जितना ही अधिक और जल्दी जल्दी होता है, स्वर भी उतना ही ऊँचा चढ़ता जाता है । इस क्रम के अनुसार षड्ज से निषाद तक सातों स्वरों के समूह को सप्तक कहते हैं , एक सप्तक के उपरांत दूसरा सप्तक चलता है, जिसके स्वरों की कंपनसंख्या इस संख्या से दूनी होती है , इसी प्रकार तीसरा और चौथा सप्तक भी होता है , यदि प्रत्येक स्वर की कपनसंख्या नियत से आधी हो, तो स्वर बराबर नीचे होते जायँगे और उन स्वरों का समूह नीचे का सप्तक कहलाएगा , हमारे यहाँ यह भी माना गया है कि ये सातों स्वर क्रमशः मोर, गौ, बकरी, क्रौंच, कोयल, घोड़े और हाथी के स्वर से लिए गए हैं, अर्थात् ये सब प्राणी क्रमशः इन्हीं स्वरों में बोलते हैं; और इन्हीं के अनुकरण पर स्वरों की यह संख्या नियत की गई है , भिन्न भिन्न स्वरों के उच्चारण स्थान भी भिन्न भिन्न कहे गए हैं , जैसे,—नासा, कंठ, उर, तालु, जीभ और दाँत इन छह स्थानों में उत्पन्न होने के कारण पहला स्वर षड्ज कहलाता है , जिस स्वर की गति नाभि से सिर तक पहुँचे, वह ऋषभ कहलाता है, आदि , ये सब स्वर गले से तो निकलते ही हैं, पर बाजों से भी उसी प्रकार निकलते है , इन सातों में से सा और प तो शुद्ध स्वर कहलते हैं, क्योंकि इनका कोई भेद नेहीं होता; पर शेष पाचों श्वर कोमल और तीव्र दो प्रकार के होते हैं , प्रत्येक स्वर दो दो, तीन तीन भागों में बंटा रहता हैं, जिनमें से प्रत्येक भाग 'श्रुति' कहलाता है
  • व्याकरण में वह वर्णात्मक शब्द जिसका उच्चारण आपसे आप स्वतंत्रतापूर्वक होता है और जो किसी व्यंजन के उच्चारण में सहायक होता हैं संस्कृत वर्णमाला में अ, इ, उ, ऋ, ऌ, ए, ऐ, ओ, औ और हिंदी वर्णमाला में
  • स्वर हैं— अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, और औ
  • वेदपाठ में होनेवाले शब्दों का उतार चढ़ाव
  • नासिका में से निकलनेवाली वायु या श्वास
  • उच्चारण में होनेवाली स्पंदन की मात्रा , उदात्त, अनुदात्त, स्वरित आदि
  • सात की संख्या (को॰)
  • ध्वनि , आवाज , शब्द (को॰) ९
  • स्वरों की मृदुता , ध्वनि की कोमलता (को॰)
  • खर्राटा , खर्राटे की ध्वनि (को॰)
  • विष्णु का एक नाम (को॰)

स्वर के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

स्वर से संबंधित मुहावरे

स्वर के अंगिका अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • ग्राम-संगीत

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह ध्वनि जो किसी प्राणी के मुख से अथवा किसी पदार्थ पर आधात पड़ने से उत्पन्न हो व्याकरण में वह वर्णात्मक शब्द जिसका उच्चारण आप से आप हो

स्वर के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • शब्द (भाषिक वा ध्वन्यात्मक)
  • सङ्गीतक सुर जे बारहटा अछि
  • लय, भास, धुनि
  • वर्णमालामे अ सँ औ धरि ध्वनि एहन मुखध्वनि जे मुखविवरके बिनु बन्द कएने दीर्घ काल धरि उच्चरित होइत रहि सकैत अछि
  • अनुतान

Noun

  • sound, phone, voice, noise.
  • musical note.
  • tune.
  • vowel;
  • pitch.

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