तद्धित

तद्धित के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

तद्धित के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • व्याकरण में एक प्रकार का प्रत्यय जिसे संज्ञा के अंत में लगाकर शब्द बनाते हैं

    विशेष
    . यह प्रत्यय पाँच प्रकार के शब्द बनाने के काम में आता है- (1) अपत्यवाभक, जिससे अपत्यता या अनुयायित्व आदि का बोध होता है। इसमें या तो संज्ञा के पहले स्वर की वृद्धि कर दी जाती है अथवा उसके अंत में 'ई' प्रत्यय जोड़ दिया जाता है। जैसे- शिव से शैव, विष्णु से वैष्णव, रामानंद से रामानंदी आदि। (2) कर्तृवाचक- जिससे किसी क्रिया के कर्ता होने का बोध होता है। इसमें 'वाला' या 'हारा' अथवा इन्हीं का समानार्थक और कोई प्रत्यय लगाया जाता है। जैसे- कपड़ा से कपड़े वाला, गाड़ी से गाड़ीवाला, लकड़ी से लकड़ी वाला या लकड़हारा। (3) भाववाचक- जिससे भाव का बोध होता है। इसमें 'आई', 'ई', 'त्व', 'ता', 'पन', 'पा', 'वट', 'हट', आदि प्रत्यय लगाते हैं। जैसे- ढीठ से ढिठाई, ऊँचा से ऊँचाई, मनुष्य से मनुष्यत्व, मित्र से मित्रता, लड़का से लड़कपन, बूढ़ा से बुढ़ापा, मिलान से मिलावट, चिकना से चिकनाहट आदि। (4) ऊनवाचक- जिससे किसी प्रकार की न्यूनता या लघुता आदि का बोध होता है। इसमें संज्ञा के अंत में 'क', 'इया' आदि लगा देते हैं और 'आ' को 'ई' से बदल देते हैं। जैसे- वृक्ष से वृक्षक,फोड़ा से फोड़िया, डोला से डोली। (5) गुणवाचक- जिससे गुण का बोध होता है। इसके संज्ञा के अंत में 'आ', 'इक', 'इत', 'ई', 'ईला', 'एला', 'लु',' वंत', 'वान', 'दायक', 'कारक', आदि प्रत्य लगाए जाते हैं। जैसे, ठंढ से ठंढा, मेल से मैला, शरीर से शारीरिक, आनंद से आनंदित, गुण से गुणी, रँग से रँगीला, घर से घरेलू, दया से दयावान्, सुख से सुखदायक, गुण से गुणकारक आदि।

    उदाहरण
    . मित्रता शब्द मित्र और ता प्रत्यय से मिलकर बना है, इसमें का ता प्रत्यय तद्धित कहलाता है।

  • वह शब्द जो इस प्रकार प्रत्यय लगाकर बनाया जाए

विशेषण

  • उसके लिए उपयुक्त

तद्धित के ब्रज अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • संज्ञा शब्दों में लगने वाला एक प्रकार का प्रत्यय

तद्धित के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • नाममे प्रत्यय जोड़ि बनल शब्द

Noun, Masculine

  • secondary derivative.

तद्धित के तुकांत शब्द

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