ठ के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

ठ के गढ़वाली अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का बारहवां व्यंजन वर्ण
  • the twelfth consonant of Devanagari alphabet.

ठ के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun

  • the second letter of the third pentad (i.e. टवर्ग) of the Devna:gri: alphabet

ठ के हिंदी अर्थ

संज्ञा

  • व्यंजनों में बारहवाँ व्यंजन जिसके उच्चारण का स्थान भारत के प्राचीन वैयाकरणों ने मूर्धा कहा है, इसका उच्चारण करने में बहुधा जीभ का अग्रभाग और कभी मध्य भाग तालु के किसी हिस्से में लगाना पड़ता है, यह अघोष महाप्राण वर्ण है

    उदाहरण
    . ठ का उच्चारण मूर्द्धा से होता है।


संज्ञा, पुल्लिंग

  • शिव
  • महाध्वनि
  • चंद्रमंडल या सूर्यमंडल
  • मंडल, घेरा
  • शून्य
  • गोचर, इंद्रियग्राह्य वस्तु

ठ के कन्नौजी अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला में 'ट' वर्ग का दूसरा वर्ण, जिसका उच्चारण स्थान मूर्द्धा है

ठ के बुंदेली अर्थ

  • हिन्दी वर्णमाला देवनागरी लिपि का ट वर्ग का द्वितीय व्यंजन वर्ण है, इसका उच्चारण स्थान मूर्द्धा है

ठ के ब्रज अर्थ

  • नागरी वर्णमाला में ट वर्ग का दूसरा व्यंजन

संज्ञा, पुल्लिंग

  • शिव
  • भारी ध्वनि
  • चंद्रमंडल
  • शून्य स्थान

ठ के मैथिली अर्थ

  • वर्णमालाक बारहम व्यञ्जन
  • 12th consonant of alphabet

ठ के मालवी अर्थ

  • ट वर्ग का अक्षर।

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