तीखुर

तीखुर के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

तीखुर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • हलदी की जाति का एक प्रकार का पौधा जो पूर्व, मध्य तथा दक्षिण भारत में अधिकता सै होता है

    विशेष
    . अच्छी तरह जोती हुई जमीन में जाड़े के आरंभ में इसके कंद गाड़े जाते है और बीच बीच में बराबरा सिंचाई की जाती है । पुस माघ में इसके पत्ते झड़ने लगते हैं और तब यह पक्का समझा जाता है । उग्र समय इसकी जड़ खोदकर पानी में खूब धोकर कूटते हैं और इसका सत्त निकालते है जो बढ़िया मैदे की तरह होता है । यहीं सत्त बाजारों में तीखुर के नाम से बिकता है और इसका व्यवहार कई तरह की मिठाइयाँ, लड्डु, सैव, जलेबी आदि बनाने में होता है । हिंदु लोग इसकी गणना 'फलाहार' में करते हैं । इसे पानी में घोलकर दूध में छोड़ने से दूध बहुत गाढ़ा हो जाता है, इसलिये लोग इसकी खीर भी बनाते हैं । अब एक प्रकार का तीखुर विलायत से भी आता है जिसे अराख्ट कहते हैं । वि॰ दे॰ 'अराख्ट' ।

तीखुर के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • हल्दी की जाति का एक प्रकार का पौधा इसकी जड़ से आरा रूट तैयार किया जाता है

तीखुर के तुकांत शब्द

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