तिक्त

तिक्त के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

तिक्त के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • तीती, कडुआ, जिसका स्वाद नीम, गुरुच, चिरोयते आदि के समान हो

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पित्तपापड़ा
  • सुगंध
  • कुटज
  • वरुण वृक्ष
  • छह रसों मे से एक

    विशेष
    . तिक्त छह रसों में से एक है । तिक्त और कटु में भेद यह कि तिक्त स्वाद अरुचिकर होता है; जैसे, नीम, चिरायते आदि का; पर कटु स्वाद चरपरा और रुचिकर होता है । जैसे, सोंठ, मिर्च आदि का । वैद्यक के अनुसार तिक्त रस छेदक, रुचिकारक, दीपक, शोधक तथा मूत्र, मेद, रक्त, वसा आदि का शोषण करनेवाला है । ज्वर, खुजली, कोढ़, मूर्छा आदि में यह विशेष उपकारी है । अमिलतास, गुरुच, मजीठ, कनेर, हल्दी, इंद्रजव, भटकटैया, अशोक, कटुकी, बारियारा, ब्राह्मी, गदहपुरना (पुनर्नवा) इत्यादि तिक्त वर्ग के अंतर्गत हैं ।

तिक्त के पर्यायवाची शब्द

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तिक्त के यौगिक शब्द

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तिक्त के अँग्रेज़ी अर्थ

Adjective

  • acrid
  • pungent

तिक्त के ब्रज अर्थ

विशेषण

  • तोता , कड़आ

तिक्त के मैथिली अर्थ

विशेषण

  • तीत

Adjective

  • bitter, pungent.

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