टोड़ी

टोड़ी के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

टोड़ी के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग

  • कुँए के थाले में लगने वाला छेददार पत्थर, महुए के फल।

टोड़ी के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • एक रागिनी जिसके गाने का समय १० दंड से १६ दंड पर्यत है

    विशेष
    . इसका स्वरग्राम इस प्रकार है— स रे ग म प ध नि स स नि ध प म ग ग रे स । रे सा नि स नि ध ध नि स ग रे स नि स नि ध । प ग ग म रे ग रे स रे नि स नि ध स रे ग म प ध ध प । म ग म ग रे स नि स रे रे स नि ध ध ध नि स । हनुमत मत से इसका स्वरग्राम यह है—म प ध नि स रे ग म अथवा स रे ग म प ध नि स । यह संपूर्ण जाति की रागिनी हैं । इसमें शुद्ध मध्यम और तीव्र मध्यम के अतिरिक्त बाकी सब स्वर कोमल होते हैं । यह भैरव राग की स्त्री मानी जाती है और इसका स्वरूप इस प्रकार कहा गया है—हाथ, में वीणा लिए हुए, प्रिय के विरह में गाती हुई, श्वेत वस्त्र धारण किए और सुंदर नेत्रोंवाली । २

  • चार मात्राओं का एक ताल जिसमें २ आघात और २ खाली + ० रहते हैं , इसका तबले का बोल यह है—धिन् धा, गेदिन, ३ ० + जिनता, गोदिन, धा , अथवा , + ० ० ० + धेद्धां के टे, नेद्धा के टे , धा

टोड़ी के बुंदेली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • धान के खेतों में होने वाला एक नींदा जिसका पौधा धान की तरह का होता है, छज्जा के नीचे की ओर लगे हुए कटावदार पत्थर के खड़े टुकड़े

टोड़ी के ब्रज अर्थ

टोडी

स्त्रीलिंग

  • प्रातःकाल गायी जाने वाली एक रागिनी

    उदाहरण
    . जैतश्री अरु पूर्बी, टोड़ी आसाबरी सुखरास ।

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