त्रिशंकु

त्रिशंकु के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

त्रिशंकु के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • an ancient Indian King of the Solar dynasty (according to Hindu mythology the sage Vishwa:mittr, through his spiritual powers, tried to send him physically to the kingdom of Heavens. Indra, the king of gods, refused him entry into his world and sent him t

त्रिशंकु के हिंदी अर्थ

त्रिशङ्कु

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक प्रसिद्ध सूर्यवंशी राजा जिन्होंने सशरीर स्वर्ग जाने की कामना से यज्ञ किया था पर इंद्र और दूसरे देवताओं के विरोध करने पर वे अधर में ही लटक गए थे

    विशेष
    . रामायण में लिखा है कि सशरीर स्वर्ग पहुँचने की कामना से त्रिशंकु ने अपने गुरु वशिष्ठ से यज्ञ कराने की प्रार्थना की, पर वशिष्ठ ने उनकी प्रार्थना स्वीकार न की। इस पर वह वशिष्ठ के पुत्रों के पास गए; पर उन लोगों ने भी उनकी बात न मानी, उल्टे उन्हें शाप दिया कि तुम चाँडाल हो जाओ। तद्नुसार राजा चाँडाल होकर विश्वामित्र की शारण में पहुँचे और हाथ जोड़कर उनसे अपनी अभिलाषा प्रकट की। इस पर विश्वामित्र ने बहुत से ऋषियों को बुलाकर उनसे यज्ञ करने के लियए कहा। ऋषियों ने विश्वामित्र के कोप से डरकर यज्ञ आरंभ किया जिसमें स्वयं विश्वामित्र अध्वर्यु बने। जब विश्वामित्र ने देवताओं को उनका हवि-र्भाग देना चाहा तब कोई देवता न आए। इस पर विश्वामित्र बहुत बिगड़े और केवल अपनी तपस्या के बल से ही त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग भेजने लगे। जब इंद्र ने त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग की ओर आते हुए देखा तब उन्होंने वहीं से उन्हें मर्त्यलोक की ओर लौटाया। त्रिशंकु जब उल्टे होकर नीचे गिरने लगे तब बड़े जोर से चिल्लाए। विश्वामित्र ने उन्हें आकाश में ही रोक दिया और क्रुद्ध होकर दक्षिण की ओर दूसरे सप्तर्षियों और नक्षत्रों की रचना आरंभ की। सब देवता भयभीत होकर विश्वामित्र के पास पहुँचे। तब विश्वामित्र ने उनसे कहा कि मैंने त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग पहुँचाने की प्रतिज्ञा की है। अत: अब वह जहाँ के तहाँ रहेंगे और हमारे बनाए हुए सप्तर्षि और नक्षत्र उनके चारों ओर रहेंगे। देवताओं ने उनकी यह बात स्वीकार कर ली। तब से त्रिशंकु वहीं आकाश में नीचे सिर किए हुए लटके हैं और नक्षत्र उनकी परिक्रमा करते हैं, लेकिन हरिवंश में लिखा है कि महाराज त्रयारुण का सत्यव्रत नामक एक पुत्र बहुत ही पराक्रमी राजा था। सत्यव्रत ने एक पराई स्त्री को घर में रख लिया था। इससे पिता ने उन्हें शाप दे दिया कि तुम चाँडाल हो जाओ। तद्नुसार सत्यव्रत चाँडाल होकर चाँडालों के साथ रहने लगे। जिस स्थान पर सत्यव्रत रहते थे उसके पास ही विशवामित्र ऋषि भी वन में तपस्या करते थे। एक बार उस प्रांत में बारह बर्षों तक वृष्टि ही न हुई, इससे विश्वामित्र की स्त्री अपने बिचले लड़के को गले में बाँधकर सौ गायों को बेचने निकली। सत्यव्रत ने उस लड़के को ऋषिपत्नी से लेकर उसे पालना आरंभ किया, तभी से उस लड़के का नाम गालव पड़ा। एक बार मांस के अभाव के कारण सत्यव्रत ने वशिष्ठ की कामधेनु गौ को मारकर उसका मांस विश्वामित्र के लड़कों को खिलाया था और स्वयं भी खाया था। इस पर वशिष्ठ ने उनसे कहा कि एक तो तुमने अपने पिता को असंतुष्ट किया, दूसरे अपने गुरु की गौ मार डाली और तीसरे उसका मांस स्वयं खाया और ऋषिपुत्रों को खिलाया। अब किसी प्रकार तुम्हारी रक्षा नहीं हो सकती। सत्यव्रत ने ये तीन महापातक किए थे, इसी से वह त्रिशंकु कहलाए। उन्होंने विश्वामित्र की स्त्री और पुत्रों की रक्षा की थी इसलिए ऋषि ने उनसे वर माँगने के लिये कहा। सत्यव्रत ने सशरीर स्वर्ग जाना चाहा। विश्वामित्र ने पहले तो उनकी यह बात मान ली, पर पीछे से उन्होंने सत्यव्रत को उनके पैतृक राज्य पर अभिषिक्त किया और स्वयं उनके पुरोहित बने। सत्यव्रत ने केकय वंश की सप्तरथा नामक कन्या से विवाह किया था जिसके गर्भ से प्रसिद्ध सत्यव्रती महाराज हरिशचंद्र ने जन्म लिया था। तैत्तिरीय उपनिषद् के अनुसार त्रिशंकु अनेक वैदिक मंत्रों के ऋषि थे।

  • एक तारा जिसके विषय में प्रसिद्ध है कि यह वही त्रिशंकु है जो इंद्र के ढकेलने पर आकाश से गिर रहे थे और जिन्हें मार्ग में ही विश्वामित्र ने रोक दिया था
  • बिल्ली
  • एक बरसाती कीड़ा जिसका पिछला भाग रात को खू़ब चमकता है, जुगुनू
  • एक प्राचीन पहाड़ का नाम
  • वर्षा और वसंत ऋतु में सुरीली ध्वनि में बोलने वाला एक पक्षी, पपीहा

विशेषण

  • जो बीच में ही लटका हो
  • जिसमें किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो, जैसे- त्रिशंकु विधानसभा

त्रिशंकु के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

त्रिशंकु के मैथिली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • एक राजा जो सशरीर स्वर्ग जाने के लिए यज्ञ के बल पर धरती से ऊपर तो उठे, लेकिन इंद्र आदि देवताओं के विरोध करने पर बीच रास्ते में ही लटके रह गए
  • (लाक्षणिक) त्रिशंकु के समान अज़ीब स्थिति

Noun, Masculine

  • a mythical sage who rose above earth for attaining heaven but was halted in the mid way said to be hanging in-between losing both
  • (fig) one fallen in similar awkward position

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