उद्

उद् के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

उद् के हिंदी अर्थ

उपसर्ग

  • एक उपसर्ग जो शब्दों के पहले लगकर उनमें इन अर्थों की विशेषता उत्पन्न करता है—ऊपर, जैसे—उदगमन; अतिक्रमण, जैसे,—उत्तीर्ण, उत्क्रांत; उत्कर्ष, जैसे—उदबोधन, उदगति; प्राबल्य, जैसे—उदवेग, उदबल; प्राधान्य, जैसे— उद्देश; अभाव जैसे— उत्पथ, उदवासन; प्रकाश, जैसे— उच्चारण; दोष, जैसे—उन्मार्ग

संज्ञा, पुल्लिंग

  • मोक्ष
  • ब्रह्म
  • सूर्य, जल
  • जल, पानी, समास आदि या अंत में प्रयुक्त, जैसे अछोद, क्षीरोद, उदकुंभ, उदकोष्ठ, उदपात्र = जलपूर्ण घट
  • चूल्हा, सिगड़ी
  • नाश, उच्छेद, कर्कशता, कठोरता, (वाणी की], (रोग से) ग्रस्त होना
  • जल; पानी

विशेषण

  • ध्वस्त, गिरा पड़ा हुआ, टूटा हुआ, भग्न, नष्ट

उद् के ब्रज अर्थ

  • अतिक्रमण ; ऊपर; प्राबल्य ; उत्कर्ष ; प्राधान्य; अभाव ; दोष , ८. प्रकाश आदि का द्योतक एक उपसर्ग

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