uttaraabhaas meaning in braj

उत्तराभास

उत्तराभास के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

उत्तराभास के ब्रज अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • मिथ्या-उत्तर, ऊटपटांग जवाब

उत्तराभास के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ऐसा उत्तर जिसमें वास्तविकता या सत्यता न हो और उसका आभास मात्र हो, ऊपर से सत्य लगने वाला उत्तर, मिथ्या उत्तर, झूठा जवाब, अंड-बंड जवाब

    विशेष
    . यह कई प्रकार का होता है— (1) संदिग्ध, जैसे- किसी पर सौ मुद्रा का अभियोग है ओर वह पूछने पर कहे कि हमें याद नहीं कि हमने 100 स्वर्णमुद्राएँ ली या रजत मुद्राएँ। (2) प्रकृति से अन्य, जैसे- किसी पर गाय का दाम न देने का अभियोग है और वह पूछने पर कहे कि गाय तो नहीं घोड़ा अलबता इनसे लिया था। (3) अत्यल्प, जैसे- 100 के स्थान पर पूछने पर कोई कहे कि मैंने पाँच ही रुपए लिए थे। (4) अत्याधिक (5) पक्षैकदेशव्यापी, जैसे-किसी पर सोने और कपड़े का दाम न देने का अभियोग है और वह कहे कि हमने कपड़ा लिया था, सोना नहीं। (6) व्यस्तपद, जैसे- रुपए के अभियोग के उत्तर में कोई कहे कि वादी ने हमें मारा है। (7) अव्यापी, अर्थात् जिसके उत्तर का काई ठौर ठिकाना न हो। (8) निगूढ़ार्थ, जैसे- रुपए के अभियोग में अभियुक्त कहे कि हैं, क्या मुझ पर चाहते हैं?' अर्थात् मुझ पर नहीं, किसी और पर चाहते होंगे। (9) आकुल जैसे, 'मैने रुपए लिए हैं, पर मुझपर चाहिए नहीं।' (10) व्याख्यागम्य, जिस उत्तर में कठिन या दोहरे अर्थ के शब्दों के प्रयोग से व्याख्या की आवश्यकता हो। (11) असार, जैसे- किसी ने अभियोग चलाया कि अमुक ने व्याज तो दे दिया है पर मूलधन नहीं दिया है। और वह कहे कि हमने ब्याज तो दिया है पर मूलधन लिया ही नहीं।

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