ऊ :

ऊ : के अर्थ :

ऊ : के अंगिका अर्थ

  • ईं संवृत पश्चय निम्न दीर्घ स्वर छेकय । हेकरों उच्चारण में जिह्वा रॉ पिछला भाग 'ड' नांकि तनटा जादे ऊपर उठय छै आरू ठोर जादे आगू बढ़ी के तनटा जादे गोल होय जाय छै। अंगिका भाषा में ई ध्वनि रॉ स्वतंत्र प्रयोग पैयलों जाय छै । यहा- 'उ' रॉ- विकृत रूप छेकय अत' :ऊ'

ऊ : के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • the sixth vowel and the sixth letter of the Devna:gri: alphabet

ऊ : के हिंदी अर्थ

ऊर

देशज ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • पंजाब में धान बोने की एक रीति, जड़हन रोपना

    विशेष
    . बेहन के पौधे जब एक महीने के हो जाते हैं तब उन्हें पानी से भरे हुए खेत में दूर दूर पर बैठाते हैं ।

  • दक्षिणी मेसोपोटामिया का एक प्राचीन शहर

हिंदी ; विशेषण

  • देखिए : 'और'

    उदाहरण
    . गरब करि ऊभो छइ सामरयो राव, मो सरीखा नहीं ऊर भुवाल ।


हिंदी ; संज्ञा, पुल्लिंग

  • ओर, अंत

ऊ : के कन्नौजी अर्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का छठा (स्वर) वर्ण. इसका उच्चारण स्थान ओष्ठ है

ऊ : के गढ़वाली अर्थ

ऊर

संज्ञा, पुल्लिंग

  • टीस, हृदय की अपूर्ण प्यास या टीस
  • प्रारम्भ करना, प्रथम प्रयास

Noun, Masculine

  • a throb; a shooting pain.
  • to start.

ऊ : के बघेली अर्थ

ऊर

विशेषण

  • जो अपूर्ण हो, रूढ़ संख्या

ऊ : के ब्रज अर्थ

ऊर

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सीमा

विशेषण

  • नीरस, स्वादहीन

अकर्मक क्रिया

  • उड़ना
  • ऊरी फिर—(उड़ी फिरना) स्थिर न रहना , बेहद चंचल होना

    उदाहरण
    . नेक न नीचिये बैठति नागरी, जोबन हाथ लिये फिर ऊरी ।

ऊ : के मालवी अर्थ

'ऊ'

अरबी ; सर्वनाम, पुल्लिंग

  • वह

अव्यय

  • ऊँ हूँ

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