वाक्य

वाक्य के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

वाक्य के मैथिली अर्थ

  • शब्दसभक परस्परान्वित सार्थक समूह
  • sentence.

वाक्य के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वह पद समूह जिससे ओता को वक्ता के अभिप्राय का बोध हो , भाषा को भाषावैज्ञानिक आर्थिक इकाई का बोधक पद समूह , वाक्य में कम से कम कारक (कर्तृ आदि) जो संज्ञा या सर्वनाम होता है, और क्रिया का होना आवश्यक है , क्रियापद और कारक पद से युक्त साकांक्ष अर्थबोधक पद- समूह या पदोच्चय , उद्देश्यांश और विवेयांशवाले सार्थक पदों का समूह

    विशेष
    . नैयायिकों और अलंकारियों के अनुसार बाक्य में (१) आकांक्षा, (२) योग्यता और (३) आसक्ति या सन्निधि होनी चाहिए । 'आकांक्षा' का अभिप्राय यह है कि शब्द यों ही रखे हुए न हों, वे मिलकर किसी एक तात्पर्प का बोध कराते हों । जैसे, कोई कहे—'मनुष्य चारपाई पुस्तक' तो यह वाक्य न होगा । जब वह कहेगा—'मनुष्य चारपाई पर पुस्तक पढ़ता है ।' तब वाक्य होगा । 'योग्यता' का तात्पर्य यह है कि पदों के समूह से निकला हुआ अर्थ असंगत या असंभव न हो । जैसे, कोई कहे—'पानी में हाथ जल गया' तो यह वाक्य न होगा । 'आसक्ति' या 'सन्निधि' का मतलब है सामीप्य या निकटता । अर्थात् तात्पर्यबोध करानेवाले पदों के बीच देश या काल का व्यवधान न हो । जैसे, कोई यह न कहकर कि 'कुत्ता मारा, पानी पिया' यह कहे—'कुत्ता पिया मारा पानी' तो इसमें आसक्ति न होने से वाक्य न बनेगा; क्योंकि 'कुता' और 'मारा' के बीच 'पिया' शब्द का व्यवधान पड़ता है । इसी प्रकार यदि काई 'पानी' सबेरे कहे और 'पिया' शाम को कहे, तो इसमें काल संबंधी व्यवधान होगा ।

  • मिश्रित वाक्य और संयुक्त वाक्य
  • कथन , उक्ति (को॰)
  • न्याय में युक्ति , उपपत्ति हेतु
  • विधि , नियम , अनुशासन (को॰)
  • ज्योतिष में गणना की सौर प्रक्रिया (को॰)
  • प्रतिज्ञा , पूर्व पक्ष (को॰)
  • आदेश , प्रभुत्व , शासन (को॰)
  • विधिस्मंत साक्ष्य वा प्रमाण (को॰) ९
  • वाक्रप्रदत्त होना (को॰)

वाक्य के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

वाक्य के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पदों का वह समूह जिससे श्रोता को वक्ता का अभिप्राय जताया जाता है, जिसके उद्देश्य का होना आवश्यक होता है

वाक्य के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • सार्थक शब्द समूह

Noun, Masculine

  • sentence.

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