वाण

वाण के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

वाण के गढ़वाली अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • वाणक, वानक, ढब, आदत; तीर; नन्दा जात (पुण्य यात्रा) मार्ग पर एक गांव का नाम जहां जात का पड़ाव पड़ता है

Noun, Masculine

  • habit; arrow; name of avillage on way of 'Nanda Rajjat' pilgrimage.

वाण के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • धारदार फल लगा हुआ छड़ी के आकार का छोटा अस्त्र जो धनिष की डोरी पर खींचकर छोड़ा जाता है , तीर

    विशेष
    . बृहत् शर्ङ्गधर में धनुष और वाण बनाने के सबंध में बहुत स नियम दिए गए हैं । उसमें लिखा है कि वाण या तीर का फल शुद्ध लौह का होना चाहिए । फल कई आकार के बनाए जाते थे, जैसे,—आरामुख, क्षुरुप्र, गोपुच्छ, अधचद्र, सूचीमुख, भल्ल, वत्सदत, द्विभल्ल, कीर्णक और काकतुंड । ये सब भिन्न भिन्न कामों के लिये होते थे । जंसे,—आरामुख वाण वर्म (बकतर) भेजने के लिये, अधंचंद्र सिर काटने के लिये, आरामुख और सूचीमुख ढाल छेदने के लिये, क्षुरप्र धनुष काटने के लिये, भल्ल हृदय भेदने के लिये, द्विभल्ल धनुष की डोरी काटने के लिये, आदि । वाण के फल पर अच्छी जिला होनी चाहिए । पीपल, सेंधा नमक और गुड़ को गोमूत्र में पीसकर फल पर लेप करे, फिर फल को आग्न में तपाकर तेल में बुझा��े, तो अच्छी जिला होगी । शर कैसा होना चाहिए, इसके संबंध में भी बहुत सी बातें हैं । वाण ठीक सीधा जाय, रास्ते में इधर उधर न हो, इसके लिये पिछले भाग में कुछ दूर तक कौवे, हंस, बगले, गीध और मयूर आदि किसी पक्षी के पर लगाने चाहिए । विशेष विवरण के लिये देखिए 'वनुर्वेद' और 'बाण' शब्द ।

वाण के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

वाण के कुमाउँनी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • बाण, धार तेज करने वाला;सान चढ़ाने बाला, मूंज की डोरी जो खटिया बिनने के काम आती है,तंतु-

वाण के ब्रज अर्थ

बान

पुल्लिंग

  • तोर ; जल में लगने वाला वायु का झकोरा

वाण के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • बर्तन, घरेलू उपयोग में आने वाले ताँबा-पीतल आदि धातुओं के बने बर्तन, रस्सी बनाने की कच्ची सामग्री यथा पलाश वृक्ष की जड़ या पटसन आदि के रेशे।

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