वैश्य

वैश्य के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

वैश्य के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • भारतवर्ष की चार जातियों के वर्गों में से तृतीय वर्ण, वाणिक, बनिया

वैश्य के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • भारतीय आर्यों के चार वर्णों में से तीसरा वर्ण जो 'द्विजाति' के अंतर्गत और उसमें अंतिम है

    विशेष
    . 'वैश्य' शब्द वैदिक विश् से निकला है । वैदिक काल में प्रजा मात्र को विश् कहते थे । पर बाद में जब वर्णव्यवस्था हुई, तब वाणिज्य व्यसाय और गोपालन आदि करनेवाले लोग वैश्य कहलाने लगे । इनका धर्म यजन, अध्ययन और पशुपालन तथा वृति कृषि और वाणिज्य है । आजकल अधिकांश वैश्य प्रायः वाणिज्यव्यवसाय करके ही जीविकानिर्वाह करते हैं । इन वैश्यों में देश और वंश आदि के भेद से अनेक जातियाँ और उपजातियाँ पाई जाती है जैसे,— अग्रवाल, ओसवाल, रस्तोगी, भाटिए आदि ।

वैश्य के ब्रज अर्थ

स्त्रीलिंग

  • बनिया , व्यापारी , ब्यवसायी ; हिंदू जाति को तृतीय वर्ण

वैश्य के मैथिली अर्थ

संज्ञा

  • प्राचीन भारतीय समाजक उत्पादक

Noun

  • the producer class of ancient Indian society.

अन्य भारतीय भाषाओं में वैश्य के समान शब्द

पंजाबी अर्थ :

वैश - ਵੈਸ਼

गुजराती अर्थ :

वैश्य - વૈશ્ય

उर्दू अर्थ :

वैश - وَیش

कोंकणी अर्थ :

वैश्य

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