वरण

वरण के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

वरण के अंगिका अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • जाति, यथा ब्राह्म, क्षत्रिय वैश्य, और शूद्र पदार्थों के लाल, काले, पीले, आदि का भेद रूप, अक्षर, व्याकरण के अनुसार आकारादि शब्द के चिन्ह या संकेत

वरण के अँग्रेज़ी अर्थ

Noun, Masculine

  • a caste
  • colour
  • dye (used for colouring or writing)
  • a letter of the alphabet

वरण के हिंदी अर्थ

वर्ण, वरन

संज्ञा, पुल्लिंग

  • पदार्थों के लाल, पीले आदि भेदों का नाम, रंग
  • जनसमुदाय के चार विभाग—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जो प्राचीन आर्यों ने किए थे

    विशेष
    . इस शब्द का प्राचीन प्रयोग ऋग्वेद में है। वहाँ यह जनता के दो वर्गों आर्यों और दस्युओं को सूचित करने के लिए हुआ है। यह विभाग पहले रंग के आधार पर था; क्योंकि आर्य गोरे थे और दस्यु या अनार्य काले। पर पीछे यह विभाग व्यवसाय के आधार पर हुआ और चार वर्ण माने गए। पुरुष- सूक्त में चारों वर्णों की उत्पत्ति का आलंकारिक रूप से इस प्रकार वर्णन है कि ब्राह्मण ईश्वर के मुख से, क्षत्रिय बाहु से, वैश्य जंघे से और शूद्र पैर से उत्पन्न हुए। इस व्यवस्था के अनुसार 'वर्ण' शब्द की व्युत्पत्ति 'वृ' धातु से बताई जाती है, जिसका अर्थ है 'चुनना'। अतः 'वर्ण' शब्द का अर्थ हुआ व्यवसाय। स्मृतियों में भिन्न-भिन्न वर्णों के धर्म निरूपित हैं। जैसे, ब्राह्मण का धर्म—अध्ययन, अध्यापन, यजन, याजन, दान और प्रतिग्रह; क्षत्रिय का धर्म—प्रजारक्षा, दान, यज्ञानुष्ठान और अध्ययन; वैश्य का धर्म—पशुपालन, कृषि, दान, यज्ञ और अध्ययन; शूद्र का धर्म—तीनों वर्णों की सेवा। व्यवसायभेद और सब देशों में भी चला आ रहा है, पर भारतीय आयों की लोकव्यवस्था में वह व्यवसायों के विचार से जातिगत या जन्मना माना गया है। इसी 'वर्ण' और 'आश्रम' की व्यवस्था को भारतीय आर्य अपना विशेष लक्षण मानते थे और अपने धर्म को 'वर्णाश्रम धर्म कहते थे'।

  • भेद, प्रकार, क़िस्म
  • आकारादि शब्दों के चिन्ह या संकेत अक्षर
  • गुण
  • यश, कीर्ति
  • स्तुति, बड़ाई
  • स्वर्ण, सोना
  • मृदंग का एक ताल जो चार प्रकार का होता है—पाट,विधि पाट, कूट पाट और खंड पाट
  • रूप
  • अंगराग, विलेपन
  • कुंकुम, केसर
  • चित्र, तसवीर
  • रंग, रोगन
  • रंग-ढंग, आकृति, वाह्य रूप
  • पोशाक, वेशभूषा
  • एक प्रकार का ढीला-ढाला अँगरखा, लबादा
  • ढक्कन, आवरण
  • हाथी की झूल
  • उपवास, व्रत
  • अज्ञात राशि
  • एक की संख्या
  • एक माप
  • एक गंध-द्रव्य
  • एक नदी का नाम, बन्नू, आदित्या
  • बन्नू नामक देश
  • सूर्य
  • हिंदुओं के चार विभाग - ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र

    उदाहरण
    . वर्ण व्यवस्था में ब्राह्मण का स्थान सबसे ऊँचा है ।

  • किसी वस्तु आदि का वह गुण जिसका ज्ञान केवल आँखों द्वारा होता है
  • वर्णमाला का कोई स्वर या व्यंजन वर्ण
  • वैदिक मान्यतानुसार कर्म या व्यवसाय आधारित हिंदुओं की चार कोटियाँ- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र (वर्तमान में यह व्यवस्था जन्म आधारित है)
  • रंग
  • प्रकार; भेद
  • वर्णमाला का कोई स्वर या व्यंजन वर्ण; अक्षर
  • बाह्य रूप
  • पदार्थों के लाल, पीले, हरे आदि भेदों का वाचक शब्द, रंग (देखें)
  • वह पदार्थ जिसमें चीजें रंगी जाती हों, रंग
  • आधुनिक बन्नू नदी
  • बन्नू नामक नगर और इसके आस-पास का प्रदेश

वरण के कुमाउँनी अर्थ

वर्ण

संज्ञा, पुल्लिंग

  • दृष्टिगत रूप या आकृति
  • हिंदुओं के चार वर्ण— ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र

वरण के गढ़वाली अर्थ

वर्ण

संज्ञा, पुल्लिंग

  • जाति
  • रंग
  • अक्षर

Noun, Masculine

  • caste,class; colour; letter of an alphabet, syllable

वरण के ब्रज अर्थ

वर्ण

संज्ञा, पुल्लिंग

  • ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र नामक चार वर्ण
  • रंग
  • अक्षर

वरण के मैथिली अर्थ

वर्ण

संज्ञा, पुल्लिंग

  • रंग
  • वैदिक समाज के वर्ग— ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र
  • जाति
  • अक्षर

Noun, Masculine

  • colour, hue
  • any of the four divisions of Vedic society
  • caste
  • letter

वरण के मालवी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • किसी को किसी के लिए चुनना।

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