विभक्ति

विभक्ति के अर्थ :

  • स्रोत - संस्कृत

विभक्ति के हिंदी अर्थ

संज्ञा, विशेषण, स्त्रीलिंग

  • विभक्त होने की क्रिया या भाव, विभाजित करना, बँटवारा, विभाग, बाँट
  • अलग होने की क्रिया या भाव, अलगाव, पार्थक्य
  • उत्तराधिकार में मिली हुई संपत्ति या हिस्सा
  • व्याकरण में शब्द के आगे लगा हुआ वह प्रत्यय या चिन्ह जिससे पता लगता है कि उस शब्द का क्रियापद से क्या संबंध है

    विशेष
    . संस्कृत व्याकरणानुसार नाम या संज्ञा शब्दों के बाद लगने वाले वे प्रत्यय जो नाम या संज्ञा शब्दों को पद (वाक्य प्रयोगार्ह) बनाते हैं और कारक परिणति के द्वारा क्रिया के साथ संबंध सूचित करते हैं। प्रथमा, द्वितीया, तृतीया आदि विभक्तियाँ हैं जिनमें एकवचन, द्विवचन, बहुवचन—तीन वचन होते हैं। पाणिनीय व्याकरण में इन्हें 'सुप' आदि २७ विभक्ति के रूप में गिनाया गया है। संस्कृत व्याकरण में जिसे 'विभक्ति' कहते हैं, वह वास्तव में शब्द का रूपांतरित अंग होता है। जैसे,—रामेण, रामाय इत्यादि। आजकल की प्रचलित खड़ी बोली में इस प्रकार की विभक्तियाँ प्रायः नहीं हैं, केवल कर्म और संप्रदान कारक के सर्वनामों में विकल्प से आती हैं। जैसे,—मुझे, तुझे, इन्हें इत्यादि। संस्कृत में विभक्तियों के रूप शब्द के अंत्य अक्षर के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं, पर यह भेद खड़ी बोली के कारकों में नहीं पाया जाता, जिसमें शुद्ध विभक्तियों का व्यवहार नहीं होता, कारक चिन्हों का व्यवहार होता है।

    उदाहरण
    . एक ही प्रत्यय अथवा विभक्ति के योग से निष्पन्न धातु, शब्द, प्रत्यय या विभक्ति में निर्दिष्ट क्रमानुसार स्वरध्वनियों में परिवर्तन हो जाता है।

विभक्ति के पर्यायवाची शब्द

संपूर्ण देखिए

विभक्ति के अंगिका अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • व्याकरण में शब्द में, बॉट लगाया हुआ वह प्रत्यय जिसमें उस पद का क्रियापद से संबंध सूचित होता है, विभाग

विभक्ति के ब्रज अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • अंश, टुकड़ा
  • प्रत्यय
  • कारक चिन्ह

विभक्ति के मैथिली अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • विभाजन, बँटवारा
  • (व्याकरण) संज्ञा और क्रिया के अंतिम प्रत्यय

Noun, Feminine

  • partition, separation
  • final suffixes of nouns and verbs

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