vyang meaning in braj
व्यंग के ब्रज अर्थ
विशेषण
- विकलांग , छिन्न भिन्न अंग वाला; आक्षेप , ताना
व्यंग के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- मंडूक , मेंढक
- भावप्रकाश के अनुसार एक प्रकार का क्षुद्र रोग जिसमें क्रोध या परिश्रम आदि के कारण वायु कुपित होने से मुहँ पर छोटी छोटी काली फुंसियाँ या दाने निकल आते हैं
- वह जिसका कोई अंग टूटा हुआ या विकृत हो , लुंजा , विकलांग
- एक रत्न लहसुनिया (को॰)
- लौह , इस्पात (को॰)
- किसी को चिढ़ाने, दुखी करने, नीचा दिखाने आदि के लिए कही जाने वाली वह बात जो स्पष्ट शब्दों में न होने पर भी अथवा विपरीत रूप की होने पर भी उक्त प्रकार का अभिप्राय या आशय प्रकट करती हो
- शब्द की व्यंजना वृत्ति से प्रकट होने वाला अर्थ
विशेषण
- शरीररहित,अंगहीन
- जो व्यवस्थित न हो, अव्यवस्थित
- चक्रहीन
- जिसका कोई अंग खंडित हो अथवा न हो, विकलांग, लँगड़ा '
व्यंग के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएव्यंग से संबंधित मुहावरे
व्यंग के तुकांत शब्द
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