yog meaning in maithili
योग के मैथिली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- मेल, संग
- जोड़
- एक भारतीय दर्शन जिसमें आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए मानसिक और शारीरिक व्यायाम की प्रणाली वर्णित है
- सामाजिक स्तर की दृष्टि से दूसरी श्रेणी का मैथिल ब्राह्मण
- वशीकरण
- एक लोकगीत जिसमें तंत्र की विधि से दूल्हा-दुल्हन को वश में किए जाने का वर्णन है
- संकलन
- (ज्योतिष) ग्रह-नक्षत्र आदि का विशिष्ट प्रकार का मेल जो भिन्न-भिन्न फल देता है
- औषधि, दवा
Noun, Masculine
- Yoga, a system of mental and physical exercise for achieving spiritual power.
- Maithil Brahman placed in second grade in social stratification.
- enchanting device in Tantra or sorcery.
- a folk song sung for enchantment of bridegroom.
- union, combination.
- addition, sum total.
- astral combination.
- adjutant.
योग के अँग्रेज़ी अर्थ
Noun, Masculine
- total, sum total
- recipe
- combination
- addition
- joining together
- conjugation
- mixture
- contribution
- a system of concentration and meditation, concentrational exercise
- means of salvation, union with the Universal Soul by means of contemplation
- one of
योग के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- दो अथवा अधिक पदार्थों का एक में मिलना, संयोग, मिलान, मेल
- दो या अधिक चीज़ों या बातों का आपस में होने वाला संपर्क अथवा संबंध
- ध्यान
- तपस्या
- वह उपाय जिसके द्वारा जीवात्मा जाकर परमात्मा में मिल जाती है, मुक्ति या मोक्ष का उपाय
-
छह दर्शनों में से एक जिसमें चित्त को एकाग्र करके ईश्वर में लीन करने का विधान है
विशेष
. महर्षि पतंजलि ने आत्मा और जगत् के संबंध में सांख्य दर्शन के सिद्धांतों का ही प्रतिपादन और समर्थन किया है। उन्होंने भी वही पचीस तत्व माने हैं, जो सांख्यकार ने माने हैं। इनमें विशेषता यही है कि इन्होंने कपिल की अपेक्षा एक और छब्बीसवाँ तत्व 'पुरुषविशेष' या ईश्वर भी माना है, जिससे सांख्य के अनीश्वरवाद से ये बच गए हैं। ईश्वर के संबंध में पतंजलि का मत है कि वह नित्यमुक्त, एक, अद्वितीय और तीनों कालों से अतीत है और देवताओं तथा ऋषियों आदि को उसी से ज्ञान प्राप्त होता है। योग वाले संसार को दुःखमय और हेय मानते हैं। पुरुष या जीवात्मा के मोक्ष के लिए वे योग को ही एकमात्र उपाय मानते हैं। पतंजलि ने चित्त की क्षिप्त, मूढ़, विक्षिप्त, निरुद्ध और एकाग्र ये पाँच प्रकार की वृत्तियाँ मानी हैं, जिनका नाम उन्होंने चित्तभूमि रखा है; और कहा है कि आरंभ की तीन चित्तभूमियों में योग नहीं हो सकता, केवल अंतिम दो में हो सकता है। इन दो भूमियों में संप्रज्ञात और असंप्रज्ञात ये दो प्रकार के योग हो सकते हैं। जिस अवस्था में ध्येय का रूप प्रत्यक्ष रहता हो, उसे संप्रज्ञात कहते हैं। यह योग पाँच प्रकार के क्लेशों का नाश करने वाला है। असंप्रज्ञात उस अवस्था को कहते हैं, जिसमें किसी प्रकार की वृत्ति का उदय नहीं होता; अर्थात् ज्ञाता और ज्ञेय का भेद नहीं रह जाता, संस्कारमात्र बच रहता है। यही योग की चरम भूमि मानी जाती है और इसकी सिद्धि हो जाने पर मोक्ष प्राप्त होता है। -
दर्शनकार पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना, मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना
विशेष
. महर्षि पतंजलि का मत है कि अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश ये पाँच प्रकार के क्लेश, मनुष्य के जीवन-मरण के चक्र में फँसाए रखते हैं, और वह योग की साधना करके ही इन क्लेशों से बचकर ईश्वर में मिल अथवा मोक्ष प्राप्त कर सकता है उसे संसार से विरक्त होकर प्राणायामपूर्वक ईश्वर का ध्यान करना चाहिए और समाधि लगानी चाहिए। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि ये योग के आठ अंग कहे गए हैं। यह भी कहा गया है कि योग के द्वारा साधक अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा आदि आठ प्रकार की विभूतियाँ या सिद्धियाँ भी प्राप्त कर सकता है, और अंत में मुक्ति या कैवल्य प्राप्त कर लेता है। -
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित रूप से किए जाने वाले व्यायाम अथवा आसन
उदाहरण
. योग के द्वारा बहुत सी बीमारियों को दूर किया जा सकता है। -
योगशास्त्र में निर्दिष्ट वे कर्म जिनके द्वारा इंद्रिय-निग्रह किया जाता है
उदाहरण
. वह प्रतिदिन योग करता है। - वैराग्य
- संगति
- प्रेम
- सद्भाव
- मेल-मिलाप
- कोई शुभ काल, अच्छा समय या अवसर, शुभ घड़ी
- उपाय, तरकीब, युक्ति
- वह उपाय जिसके द्वारा किसी को अपने वश में किया जाय, वशीकरण
- साम, दाम, दंड और भेद ये चारों उपाय
- प्रयोग, व्यवहार
- छल, धोखा, दग़ाबाज़ी, जैसे— योगविक्रय
- वह जो किसी के साथ विश्वासघात करे, दग़ाबाज़
- औषध, दवा
- धन, दौलत
- न्याय शास्त्र का ज्ञाता, नैयायिक
- योग-दर्शन का अनुयायी
- चर, दूत
- व्यापार, काम आदि में होने वाला मुनाफ़ा, लाभ, फ़ायदा
- काम करने का कौशल, चतुराई, होशियारी
- छकड़ा, बैलागाड़ी
- नाव आदि सवारी
- वह शब्द जिससे किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का बोध हो, नाम, संज्ञा
- परिणाम, नतीजा
- नियम, क़ायदा
- उपयुक्त होने की अवस्था या भाव, उपयुक्तता
- सूत्र
- धन और संपत्ति प्राप्त करना तथा बढ़ाना, आमदनी, आय
- गणित में दो या अधिक राशियों का जोड़
- एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में 12, 8 के विश्राम से 20 मात्राएँ और अंत में यगण होता
-
ठिकाना, सुभीता, जुगाड़
उदाहरण
. नहिं लग्यो भोजन योग नहीं कहुँ मिल्यो निवसन ठौर। -
फलित ज्योतिष में कुछ विशिष्ट काल या अवसर जो सूर्य और चंद्रमा के कुछ विशिष्ट स्थानों में आने के कारण होते हैं और जिनकी संख्या 27 है
विशेष
. इनके नाम इस प्रकार हैं—विष्कंभ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगंड, सुकर्मा, धृति, शूल, गंड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, असृक, व्यतीपात, वरीयान्, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्र, ब्रह्म, इंद्र, और वैधृति। इनमें से कुछ योग ऐसे हैं, जो शुभ कार्यो के लिए वर्जित हैं और कुछ ऐसे हैं जिनमें शुभ कार्य करने का विधान है। - फलित ज्योतिष के अनुसार कुछ विशिष्ट तिथियों, वारों और नक्षत्रों आदि का एक साथ या किसी निश्चित नियम के अनुसार पड़ना, जैसे-अमृत योग, सिद्धि योग
-
फलित ज्योतिष में किसी एक राशि में कई ग्रहों या आकाशस्थ पिंडों का एक साथ बहुत पास-पास आकर स्थित होना
विशेष
. ग्रहों की युति और योग में यह अन्तर है कि युति तो उस दशा में मानी जाती है जब एक से अधिक ग्रह एक ही राशि में एक ही क्रांति में एकत्र होते हैं, अर्थात् पृथ्वी पर से एक ही धरातल या सीध में दिखाई देते हैं, पर ग्रहों का योग उस दशा में माना जाता है जब ये एकत्र तो एक ही राशि में होते हैं पर उनकी क्रांतियाँ अलग-अलग होती है, अर्थात् वे भिन्न-भिन्न धरातलों पर होते हैं। - किसी सौर जगत का प्रधान या मुख्य ग्रह
- धर्मग्रंथों द्वारा मान्य वह सर्वोच्च सत्ता जिसे सृष्टि का स्वामी माना जाता है, ईश्वर, परमात्मा
- शास्त्र में एक प्रकार का छंद
- किसी काम में साथ देने या सहायक होने की क्रिया, सहायता
- व्यवहार या आचरण के विषय में नीति, विधि, धर्म आदि के द्वारा निश्चित ढंग या प्रतिबंध
- जीविका-निर्वाह के लिए किया जाने वाला काम, पेशा, वृत्ति
- वह कार्य या प्रयत्न जिससे अभीष्ट तक पहुँचा जाए
- शत्रु के लिए की जाने वाली यंत्र, मंत्र, पूजा, छल, कपट आदि की युक्ति
- अस्त्र-शस्त्र आदि धारण करके युद्ध के लिए सुसज्जित होना
- शब्द की निरुति या व्युत्पति, शब्दार्थ (रुढ़ि से भिन्न)
योग के पर्यायवाची शब्द
संपूर्ण देखिएयोग के यौगिक शब्द
संपूर्ण देखिएयोग के कुमाउँनी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- संयोग
- मिलन
- जोड़
- एकाग्रता
- ईश्वर में चित्त या ध्यान लगाने का कार्य
- ज्योतिषशास्त्र में शुभ या अशुभ तिथि और नक्षत्र
योग के गढ़वाली अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- जोड़, मिलाप
- चित्त को एकाग्र करने का उपाय या शास्त्र
- शुभ काल
- उपयुक्त, ठीक
- लायक़, क़ाबिल
Noun, Masculine
- sum, total, connection, union; theory and practice of meditation with bodily exercises and postures, occasion, opportunity, suitable, worthy, qualified
योग के ब्रज अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
- संयोग
- मेल-मिलाप
- छह आस्तिक दर्शनों में से एक
- जोड़
- संबंध
- प्रेम
- परिणय
- कौशल
- संपत्ति, धन, दौलत
- लाभ
- फलित ज्योतिष के अनुसार कतिपय विशिष्ट अवसर ,
- शुभ अवसर
- योग साधना
- वैराग्य
योग के तुकांत शब्द
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