भोग के पर्यायवाची शब्द
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अधिकृत
अधिकार में आया हुआ, हाथ में आया हुआ, जिसका अधिग्रहण किया हो
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अनुरक्ति
आसक्ति, अनुराग, प्रीति, भक्ति
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अनुराग
प्रीति, प्रेम, असक्ति, प्यार, मुहब्बत, लगाव
- अर्थ
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आनंद
हर्ष, प्रसन्नता, ख़ुशी, सुख, मोद, आह्लाद
- आमोद
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आयोजन
कार्यक्रम, समारोह
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आराम
आनंद प्रदान करने वाला स्थल, बाग़, उपवन, फुलवारी
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आस्वाद
रस, स्वाद, ज़ायक़ा, मज़ा, स्वाद, लज़्ज़त, खाने-पीने की चीज़ मुँह में पड़ने पर उससे जीभ को होने वाला
- आहार
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उपभोग
आनंद या सुख प्राप्त करने के लिए किसी वस्तु का भोग करना या उसे व्यवहार में लाना, किसी वस्तु के व्यवहार का सुख, मज़ा लेना
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ऐश
आराम , चैन , भोग विलास
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ऐश्वर्य
धन-संपत्ति, वैभव, विभूति
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कर्मफल
पूर्वजन्म में किए हुए कार्मों का फल, दुःख-सुख आदि
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क्रीड़ा
कल्लोल, केलि, आमोद-प्रमोद, खेलकूद
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कल्याण
मंगल , शुभ , भलाई
- केलि
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कुशल
(व्यक्ति) जिसने कोई काम अच्छी तरह करने की शिक्षा पाई हो, प्रशिक्षित तथा योग्य चतुर, दक्ष, प्रवीण, चतुर, होशियार
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क्षत्र
बल
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कामक्रीड़ा
कामकेलि, संभोग, रतिक्रिया, रतिक्रीड़ा
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कामकेलि
स्त्री-पुरुष का समागम, रतिक्रिया, कामक्रीड़ा
- गमन
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ग्राम्यकर्म
ग्रामवालों का पेशा
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घर्षण
रगड़, घिस्सा
- चढ़ावा
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चैन
किसी कार्य आदि के दौरान थोड़ा रुककर शरीर को आराम देने की क्रिया, आराम, सुख, आनंद, राहत
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द्युम्न
धन
- द्रव्य
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द्रविण
धन
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धृति
धारण, धरने या पकड़ने की क्रिया
- धन
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नैवेद्य
देवता के निवेदन के लिए भोज्य द्रव्य, वह भोजन सामग्री जो देवता को चढ़ाई जाय, देवता को समर्पित भोज्य पदार्थ, भोग, प्रसाद, देव-बलि
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निधुवन
स्त्री आदि के साथ पुरुष आदि का समागम, मैथुन
- निधि
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निर्माल्य
वह पदार्थ जो किसी देवता पर चढ़ चुका हो, देवता पर चढ़ चुकी हुई चीज़, देवार्पित वस्तु
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निवृत्ति
मुक्ति, छुटकारा
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पक्वता
पक्व होने का भाव, पक्कापन
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पूर्णता
सब प्रकार से पूर्ण होने की अवस्था या भाव, पूर्ण का भाव, पूर्ण होना, पूरापन
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प्रमोद
बहुत अधिक ख़ुशी, प्रसन्नता या हर्ष, हर्ष, आनंद, प्रसन्नता
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प्रसंग
विवेचन विषय अथवा बातचीत का वह पहले वाला अंश जिसके संबंध में अब कुछ और कहा जा रहा हो, विवेच्य विषय का स्वरूप और परंपरा
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प्रसन्नता
तुष्टि, संतोष
- परिणाम
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परिभोग
बिना अधिकार के परकीय वस्तु का उपभोग
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परिरंभ
गले से गला या छाती से छाती लगाकर मिलना, आलिंगन करना
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परिरंभण
'परिरंभ'
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परिष्वंग
अलिंगन
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फटा
साँप का फन
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फन
साँप का सिर उस समय जब वह अपनी गर्दन के दोनों ओर की नलियों में वायु भरकर उसे फैलाकर छत्र के आकार का बना लेता है, फण
- फल
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भुक्त
जो खाया गया हो, भक्षित
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