ब्रह्म के पर्यायवाची शब्द
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अंतर
समान न होने की अवस्था या भाव, फ़र्क़, भेद, विभिन्नता, अलगाव, फेर
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अंतरात्मा
जीवात्मा, जीव, प्राणी
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अंतर्भूत
जो किसी दूसरी वस्तु में जाकर मिल गया हो मगर फिर भी अपना स्वतंत्र सत्ता या रूप रखता हो, किसी के अंदर स्थित, भीतर समाया हुआ, समाविष्ट, अंतर्गत, शामिल
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अंतर्यामी
ईश्वर, परमात्मा, चैतन्य, पर्मश्वर, पुरुष
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अकालपुरुष
परमात्मा, ईश्वर, परम ब्रह्म
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अक्षय
जिसका क्षय न हो, अनश्वर, सदा बना रहने वाला, कभी न चुकने वाला
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अक्षर
अकारादि वर्ण, हर्फ़, मनुष्य के मुख से निकली हूई ध्वनि को सूचित करने का संकेत या चिह्न
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अखंड
जिसके खंड या टुकड़े न हों , पूर्ण , समूचा
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अखंड
जिसके खंड या टुकड़े न हों, अटूट, अविछिन्न
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अगोचर
जो इन्द्रियों के द्वारा न जाना जा सके, इन्द्रियातीत,
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अच्युत
विष्णु और उनके अवतारों का नाम
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अज
जिसका जन्म न हो, जन्म के बंधन से रहित, अजन्मा, स्वयंभू
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अज्ञेय
न जानने योग्य, जो समझ में न आ सके, बुद्धि की पहुँच के बाहर का, ज्ञानातीत, बोधागम्य
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अद्वय
द्वैत का अभाव, ऐक्य, अद्वैत
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अद्वैत
एकाकी , अकेला
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अनंत
जिसका अंत न हो, जिसका पार न हो, असीम, बेहद, अपार
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अनन्य
अन्य से संबंध न रखने वाला, एक ही में ही में लीन, एकनिष्ठ
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अनश्वर
नष्ट न होनेवाला, अमिट, अटल, स्थिर, कार्यम रहनेवाला
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अनादि
जिसका आदि न हो, आदि रहित, जिसका आदि या आरंभ न हो
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अन्यतम
अनेकमे कोनो एक
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अपरिवर्तनशील
जो परिवर्तनशील न हो या ज्यों का त्यों रहने वाला
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अव्यय
कारकसम्बन्धरहित शब्द, जेना अहा, आओर इत्यादि
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आगम
आगमन
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आत्मभू
स्वतः उत्पन्न होने वाला
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आत्मा
प्राणीक चेतन तत्त्व, स्व
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आदित्य
अदिति के पुत्र सूर्य
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आम्नाय
आभ्यास
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ईश
स्वामी , मानिक
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ईश्वर
शिव ब्रह्मा, स्वामी, कामदेव
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उचित
औचित्यपूर्ण, योग्य , ठीक , उपयुक्त , मुनासिब , वाजिब
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ऋत
उंछवृत्ति
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एकमात्र
एक ही, केवल एक, अकेला
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एकरूप
समान रूप वाला, एक-सा, अपरिवर्तनशील
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कपिला
भोली-भाली गाय
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कर्मफल
पूर्वजन्म में किए हुए कार्मों का फल, दुःख-सुख आदि
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कलकंठ
कोकिल, कोयल
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कांची
स्त्रियों द्वारा कमर में धारण की जाने वाली करधनी, मेखला, क्षुद्रघंटिका
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कारंडव
बतख़ या हंस की जाति का एक पक्षी
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कूटस्थ
सर्वोच्च पद पर स्थित ; अटल अचल ; अविनाशी
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क्षुद्रसुवर्ण
पीतल
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गगन
आसमान, आकाश, नभ, व्योम, अंतरिक्ष, आकाशस्थ ईश्वर या देव, खुले स्थान में ऊपर की ओर दिखाई देने वाला खाली स्थान, आकाश
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गुणातीत
गुणों से परे , निर्गुण
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गुरु
अध्यापक, आचार्य, धर्मगुरु
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चक्रांग
चकवा
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चित्
चैतन्य , चेतना , ज्ञान
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चिन्मय
चेतनासंपन्न, जो ज्ञान से भरा हुआ हो, पूर्ण तथा विशुद्ध ज्ञानमय, ज्ञानस्वरूप
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चेतन
जीव आत्मा
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चैतन्य
चित् स्वरूप, आत्मा ज्ञान
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छंद
वेद वह वाक्य जिसमें वर्ण या मात्रा की गणना के अनुसार विराम आदि का नियम हो
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जगदीश
परमेश्वर
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