धीर के पर्यायवाची शब्द
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अचल
जो चल न सके या जिसमें गति न हो, जो न चले, स्थिर, जो न हिले, ठहरा हुआ, निश्चल
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अटल
जो न टले, जो न डिगे, स्थिर, निश्चल, उ
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अविचल
जो विचलित न हो, अचल, स्थिर, अटल,अडिग, स्थिरचित्त
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आलसी
सुस्त, काहिल, धीमा, अकर्मण्य
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आश्वासन
दिलसा, तसल्ली, सांत्वना, आशाप्रदान
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आहिस्ता
धीरे से , धीरे धीरे , शनै; शनै: , धीमे से
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उक्षा
सूर्य, बैल
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उपरत
विरक्त, उदासीन, हटा हुआ
- ऋषभ
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एकांत
जहाँ कोई व्यक्ति न रहता हो या व्यक्तियों की संख्या बहुत ही कम हो, जो निर्जन या सूना हो, अलग, पृथक्, अकेला
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कल
अव्यक्त मधुर ध्वनि , जैसे—कोयल की कूक, भौंरों की गुंजार
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कामी
कामना रखनेवाला, इच्छुक
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काहिल
जो फुर्तीला न हो, आलसी, सुस्ती
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गंभीर
जिसकी थाह जल्दी न मिले, नीचा, गहरा
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गोपति
गायों का मालिक, गोस्वामी
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गोरक्ष
गाय की रक्षा करने का काम, गोरक्षण
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गौ
गाय
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चुप
जिसके मुँह से शब्द न निकले, अवाक्, मौन, खामोश, जैसे,—चुप रहो, बहुत मत बोलो, क्रि॰ प्र॰—करना, —रहना, —साधना, —होना
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ज़िद्दी
जो हठ करता हो
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ठहराव
ठहरने का भाव, स्थिरता
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ढाढ़स
संकट, कठिनाई या विपत्ति के समय चित्त की स्थिरता, धैर्य, धीरज, शांति, आश्वासन, सांत्वना, तसल्ली
- ढीला
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तपस्वी
वह जो तप करता हो, तपस्या करनेवाला
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तसल्ली
ढारस, सांत्वना, आश्वासन
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थिर
जो चलता या हिलता डोलता न हो, ठहरा हुआ, अचल, मज़बूत, पक्का, ख़ामोश, फ़ैसला शूदा
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दृढ़
जो शिथिल या ढीला न हो, जो खूब कल— कर बँधा या मिला हो, प्रगाढ़, जैसे,—दृढ़ बंधन या गाँठ, दृढ़ आलिंगन
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दुर्द्धर
जिसे कठिनाई से पकड़ सकें, जो जलदी पकड़ में न आ सके
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धृति
धारण, धरने या पकड़ने की क्रिया
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धृती
धैर्यवान; धीर
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धूर्य
विष्णु
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धैर्य
संकट, बाधा, कठिनाई या विपत्ति आदि उपस्थित होने पर घबराहट का न होना, मन के विकारों से रहित होने का भाव, चित्त की दृढ़ता, धीरता, चित्त की स्थिरता, अव्यग्रता, अव्याकुलता, धीरज
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धैर्यवान
धैर्य रखने वाला
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धीमा
जिसका वेग या गति मंद हो, जिसकी चाल में बहुत तेज़ी न हो, जो आहिस्ता चले
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धीरज
धैर्य, मन का वह गुण या शक्ति जिसकी सहायता से मनुष्य कष्ट या विपत्ति पड़ने पर भी विचलित या व्यग्र नहीं होता और शान्त रहता है, सब्र, मन की स्थिरता
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नम्र
विनीत, जिसमें नम्रता हो
- निभृत
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निर्जन
जहाँ कोई मनुष्य न हो, सुनसान
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निश्चल
जो अपने स्थान से न हटे, अचल, अटल
- पुंगव
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प्रच्छन्न
ढका हुआ , लपेटा हुआ
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पूर्ण
पूरा, भरा हुआ, परिपूर्ण, पूरित
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बंधुर
मुकुट
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बैल
बिल में रहने वाला
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भरा
भरा हुआ, पूर्ण
- मूक
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मंथर
बाल का गुच्छा
- मंद
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मंदा
सूर्य की वह संक्रांति जो उत्तरा फाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद ओर रोहिणी नक्षत्र में पड़े, ऐसी संक्रांति में संक्रमणानंतर तीन दंड तक पुण्य- काल होता है
- मौन
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यती
रोक, रुकावट
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