गमन के पर्यायवाची शब्द
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अध्याय
ग्रंथ, पुस्तक आदि का खंड या विभाग जिसमें किसी विषय या उसके विशेष अंग का विवेचन हो, ग्रंथविभाग
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अभियान
सामने जाना, कहीं जाना या पहुँचना, प्रस्थान, कूच
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अवलंब
आश्रय, आधार, सहारा, भरोसा, शरण, पड़ाव, जीवन निर्वाह का आधार
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आक्रमण
बलपूर्वक सीमा का उल्लंघन करना, प्रहार, हमला, चढ़ाई, धावा
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उत्सर्ग
त्याग , छोड़ना
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उद्गम
वह स्थान आदि जहाँ से किसी वस्तु आदि की व्युत्पत्ति होती है
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उपाय
वह कार्य या प्रयत्न जिससे अभीष्ट तक पहुँचा जाए, पास पहुँचना, निकट आना
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औलाद
संतान, संतति, किसी का पुत्र या पुत्री
- कूच करना
- क़ुदरत
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क्रीड़ा
कल्लोल, केलि, आमोद-प्रमोद, खेलकूद
- केलि
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क्षरण
रस रस के चूना, स्राव होना, रसना
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कांड
बाँस, नरकट या ईख आदि का वह अंश जो दो गाँठो के बीच में हो, पोर, गाँडा, गेंडा
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कामकेलि
स्त्री-पुरुष का समागम, रतिक्रिया, कामक्रीड़ा
- गति
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ग्राम्यकर्म
ग्रामवालों का पेशा
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घर्षण
रगड़, घिस्सा
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चढ़ाई
चढ़ने की क्रिया या भाव
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जीव
प्राणियों का चेतन तत्व, जीवात्मा, आत्मा
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जीव
प्राणियों का चेतन तत्व, जीवात्मा, आत्मा
- धावा
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निधुवन
स्त्री आदि के साथ पुरुष आदि का समागम, मैथुन
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निष्क्रमण
बाहर निकलना
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पथ
मार्ग, रास्ता, राह
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प्रकृति
किसी पदार्थ या प्राणी का वह विशिष्ट भौतिक सारभूत तथा सहज व स्वाभाविक गुण जो उसके स्वरूप के मूल में होता है और जिसमें कभी कोई परिवर्तन नहीं होता, मूल या प्रधान गुण जो सदा बना रहे, तासीर
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प्रकरण
उत्पन्न करना , अस्तित्व में लाना
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पर्यटन
भ्रमण, घूमना फिरना
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प्रयाण
गमन, प्रस्थान, जाना, यात्रा, कूच, रवानगी
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प्रसंग
विवेचन विषय अथवा बातचीत का वह पहले वाला अंश जिसके संबंध में अब कुछ और कहा जा रहा हो, विवेच्य विषय का स्वरूप और परंपरा
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प्रस्थान
किसी स्थान से दूसरे स्थान को जाना; चलना; गमन; रवानगी; (डिपार्चर), गमन , यात्रा , रवानगी
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प्राणी
प्राणधारी, जिसमें प्राण हों
- परिणाम
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परिभोग
बिना अधिकार के परकीय वस्तु का उपभोग
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परिरंभ
गले से गला या छाती से छाती लगाकर मिलना, आलिंगन करना
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परिरंभण
'परिरंभ'
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परिष्वंग
अलिंगन
- पहुँच
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पारण
किसी व्रत या उपवास के दूसरे दिन किया जानेवाला पहला भोजन और तत्संबंधी कृत्य
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पिघलना
ताप के कारण किसी घन पदार्थ का द्रव रुप में होना, गरमी से किसी चीज का गलकर पानी सा हो जाना, द्रवीभुत होना, जैसे, मोम पिघलना, रागा पिघलना, घी पिघलना
- फल
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बहाव
बहाने का भाव
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भुक्ति
भोजन, आहार
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भाग्य
वह अवश्यंभावी दैवी विधान जिसके अनुसार प्रत्येक पदार्थ और विशेषतः मनुष्य के सब कार्य उन्नति, अवनति नाश आदि पहले ही से निश्चित रहते हैं और जिससे अन्यथा और कुछ हो ही नहीं सकता, पदार्थों और मनुष्यों आदि के संबंध में पहले ही से निश्चित और अनिवार्य व्यवस्था या क्रम, तकदीर, क़िस्मत, नसीब
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भोग
भोगने की अवस्था, क्रिया या भाव
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मैथुन
स्त्री के साथ पुरुष का समागम, संभोग, रतिक्रीड़ा, सहवास
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मार्ग
रास्ता, पंथ
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यात्रा
एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की क्रिया, सफ़र
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यातायात
गमनागमन, आना जाना, आमदरफ्त
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याम
तीन घंटे का समय, पहर
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