हेम के पर्यायवाची शब्द
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अकुप्य
अच्छी धातु
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अग्नि
जलती हुई लकड़ी, कोयला या इसी प्रकार की और कोई वस्तु या उस वस्तु के जलने पर अंगारे या लपट के रूप में दिखाई देने वाला प्रकाशयुक्त ताप
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अग्निबीज
सोना
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अभ्रक
अबरक, एक खनिज पदार्थ
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अमृत
जो मृत या मरा हुआ न हो, अर्थात् जीवित
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अर्जुन
वह वृक्ष जो दक्खिन से अवध तक नदियों के किनारे होता है
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आग्नेय
अग्नि संबंधी, अग्नि का
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उज्ज्वल
शुभ, भास्वर
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ऊर्ध्व
ऊपर की ओर , ऊपर
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ऋक्थ
धन, सुवर्ण, सोना
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कंचन
सोना, स्वर्ण
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कचूर
गहरा हरा, सॉप का चोंइयां
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कनक
एक बहुमूल्य पीली धातु जिसके गहने आदि बनते हैं , सोना , सुवर्ण , स्वर्ण
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कर्चूर
सोना, सुवर्ण
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कर्पूर
दे० 'कपूर'
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कर्बुर
सोना, स्वर्ण
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कलधौत
सोना
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काँच
धोती का वह छोर जिसे दोनों जाँघों के बिच से ले जाकर पीछे खोंसते हैं , लाँग
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कांचन
एक बहुमूल्य पीली धातु जिसके गहने आदि बनते हैं, सोना, स्वर्ण
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कांति
पति, शौहर
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कुंदन
बहुत अच्छे और साफ़ सोने का पतला पत्तर जिसकी सहायता से गहनों में नगीने जड़े जाते हैं
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कृशन
मुक्ता, मोती
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गांगेय
गंगा से उत्पन्न होने के कारण भीष्म पितामह का एक नाम
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गारुड़
जिस मंत्र का देवता गरुड़ हो, साँप का विष उतारने का मंत्र
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गैरिक
जो पहाड़ से उत्पन्न हो
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चंड
तेज़, प्रखर, तीव्र, तीक्ष्ण
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चंद्र
चंद्रमा, चाँद
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चांपेय
चंपक पुष्प
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चामीकर
एक बहुमूल्य पीली धातु जिसके गहने आदि बनते हैं, सोना, स्वर्ण
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जांबूनद
धतूरा
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जातरूप
सोना , स्वर्ण
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तपनीय
तपाने योग्य
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तुषार
छूने में बरफ की तरह ठंढा
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तुहिन
हिम, पाला कुहिरा
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तेज
दीप्ति , कांति , चमक , दमक , आभा
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दत्र
धन, सोना-चाँदी, ज़मीन-जायदाद आदि संम्पत्ति जिसकी गिनती पैसे के रूप में होती है
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दीप्त
प्रकाशित, आलोकित
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द्रविण
धन
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द्रव्य
वस्तु, पदार्थ, चीज़, धन-सम्पत्ति, दौलत
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धन
वह वस्तु या वस्तुओं की सअष्टि जिससे किसी उपयोगी या इष्ट अर्थ की सिद्धि होती है और जो श्रम, पूँजी या समय लगाने से प्राप्त होती है विशेषतः अधिक परिमाण में संचित उपयोग को सामग्री , रुपया पैसा, जमीन, जायदाद इत्यादि , जीवनोपाय , संपत्ति , द्रव्य , दौलत , क्रि॰ प्र॰—कमाना , —भोगना , —लगाना , यौ॰—धनधान्य
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निष्क
सोना
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नीहार
देखना तुषाद, हिम, पाला
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पिंजान
स्वर्ण, सोना
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पीतक
हरताल
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पुरट
सोना , स्वर्ण
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पेश
दे. पेस
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प्रालेय
हिम, बर्फ़
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बर्फ़
हवा में मिली हुई भाप के अत्यंत सूक्ष्म अणुओं की तह जो वातावरण की ठंढक के कारण आकाश में बनती और भारी होने के कारण जमीन पर गिरती है , पाला , हिम , तुषार , विशेष—गिरते समय यह प्रायः रुई की तरह मुलायम होती है और जमीन पर गिरकर अधिक ठंढक के कारण जम जाती है , जमने से पहले यदि चाहें तो इसे एकत्र करके ठोस गोले आदि के रूप में भी बना सकते हैं , जमने पर इसका रंग बिलकुल सफेद हो जाता है , ऊँचे पहाड़ों आदि पर प्रायः सरदी के दिनों में यह अघिकता से गिरती है और जमीन पर इसकी छोटी मीटी तहे जम जाती हैं जिन्हें पीछे से फावड़े आदि से खोदकर हटाना पड़ता है , क्रि॰ प्र॰—गलना , —गिरना , —पड़ना
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भद्र
शिष्ट, भला, शरीफ़, सभ्य, सुशिक्षित
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भास्कर
सूर्य
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