जात के पर्यायवाची शब्द
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अंगज
शरीर से उत्पन, तन से पैदा, जो अंग से उत्पन्न हुआ हो
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अंगभूत
पुत्र, बेटा
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अपत्य
किसी का पुत्र या पुत्री, संतान, औलाद
- आत्मज
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आविर्भूत
प्रकाशित, प्रकटित
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उत्पन्न
पैदा, जन्मा हुआ
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उत्पाद
जिसके पैर ऊपर उठे हों
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उद्भूत
जिसका जन्म हुआ हो, उत्पन्न, निकला हुआ
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उदित
जो उदय हुआ हो, निकला हुआ
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कुलधारक
पुत्र, बेटा
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कास
'काँश'
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जन्य
साधारण मनुष्य, जनसाधा— रण
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जनित
उत्पन्न, जन्मा हुआ, उपजा हुआ
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जातक
उत्पन्न, पैदा हुआ, जात
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जीव
प्राणियों का चेतन तत्व, जीवात्मा, आत्मा
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जीव
प्राणियों का चेतन तत्व, जीवात्मा, आत्मा
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तनज
ताना
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तनुज
पुत्र, बेटा, लड़का
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तनय
पुत्र, बेटा, लड़का
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दुर्गा
(पुराण) एक प्रसिद्ध देवी जिसका दुर्गा नाम दुर्ग राक्षस का वध करने के कारण पड़ा था, आदि शक्ति
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दारक
लौंडा, लड़का, बालक
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नंद
एक प्रकार का मृदंग
- नंद
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नंदक
श्रीकृष्ण का खङ्ग या तलवार
- नंदन
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पूत
जो धर्म के अनुसार शुद्ध या महत्व का हो, पवित्र, शुद्ध, शुचि
- पुत्र
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पैदा हुआ
जिसकी उत्पत्ति हुई हो या जो उगा हो
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बच्चा
किसी प्राणी का नवजात ओर असहाय शिशु , जैसे, गाय का बच्चा, हाथी का बच्चा, मुर्गी का बच्चा इत्यादि
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बेटा
पुत्र , सुत , लड़का
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वकुल
अगस्त का पेड़ या फूल
- वर्ष
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विनम्र
झुका हुआ, नम्र
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वीणा
प्राचीन काल का एक प्रसिद्ध बाजा , बीन
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शरद
'शरत्'
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श्वेत कमल
सफेद रंग का कमल
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शारद
शरद् काल संबंधी, शरद् काल का
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शालीन
जो धृष्ट या उद्दंड न हो, विनीत, नम्र, सुशील, लज्जाशील
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सुत
पुत्र, आत्मज, बेटा, लड़का
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सरस्वती
एक प्राचीन नदी जो पंजाब में बहती थी और जिसकी क्षीण धारा कुरुक्षेत्र के पास अब भी है
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स्वज
पुत्र, बेटा
- संवत्सर
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सारंगी
एक प्रकार का बहुत प्रसिद्ध बाजा जिसका प्रचार इस देश में बहुत प्राचीन काल से है । उ— विविध पखावज आवज संचित बिचबिच मधुर उपंग । सुर सहनाई सरस सारंगी उपजत तान तरंग ।—सूर (शब्द॰) । विशेष—यह काठ का बना हुआ होता है और इसकी लंबाई प्राय: डेढ़ हाथ होती है , इसके सामने का भाग, जो परदा कहलाता है, पाँच छह अंगुल चौड़ा होता है, और नीचे का सि अपेक्षाकृत कुछ अधिक चौड़ा और मोटा होता है , इसमें ऊपर की ओर प्राय: ४ या ५ खूँटियाँ होती है जिन्हें कान कहते है , उन्ही खूँटियों से लगे हुए लोहै और पीतल के कई तार होते है , जो बाजे की पूरी लंबाई में होते हुए नीचे की ओर बँधे रहते है , इसे बजाने के लिये लकड़ी का एक लंबा और दोनो ओर कुछ झुका हुआ एक टुकड़ा होता है , जिसमें एक सिरे से दूसरे सिरे तक घोड़े की दुम के बाल बँधे होते हैं , इसे कमानी कहते हैं , बजाने के समय यह कमानी दाहिने हाथ में ले ली जाती है और उसमे लगे हुए घोड़े के बाल से बाजे के तार रेते जाते हैं , उधर बायेँ हाथ की उँगलियाँ तारों पर रहती है जो बजाने के लिये स्वरों के अनुसार ऊपर नीचे और एक तार से दूसरे तार पर आती जाती रहती हैं , इस बाजे का स्वर बहुत ही मधुर और प्रिय होता है; इसलिये नाचने गाने का पेशा करनेवाला लोग अपने गाने के साथ प्राय: इसी का व्यवहार करते हैं
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