केसरी के पर्यायवाची शब्द
-
अर्वा
घोड़ा, अश्व
-
अश्व
घोड़ा
-
उच्चैश्रवा
इंद्र का सफ़ेद घोड़ा जिसके खड़े-खड़े कान और सात मुँह थे, (पुराण) समुद्रमंथन के समय निकले रत्नों में से एक वह घोड़ा जो सात मुँहों और ऊँचे या खड़े कानों वाला था तथा जिसे इंद्र ने अपने पास रखा था
-
कंठीरव
सिंह
-
करिदारक
सिंह, शेर
-
केशरी
सिंह
-
केशी
प्राचीन काल के एक गृहपति का नाम
-
केहरी
सिंह
-
कोकाह
श्वेत रंग के घोड़ों की एक जाति विशेष
-
क्रव्याद
कच्चा मांस खाने वाला
-
गंधर्व
एक प्रकार के देवता जो स्वर्ग में गाने-बजाने का कार्य करते हैं, देवताओं का एक भेद
-
गो
गाय।
-
घोट
सींगरहित एक चौपाया जो गाड़ी खींचने और सवारी के काम में आता है, घोड़ा, अश्व
-
घोड़ा
अश्व, बंदूक में गोली चलाने का खटका, शतरंज का एक मोहर
-
चित्रकाय
चीता, तेंदुआ
-
तुरंग
घोड़ा; कविता में 'तुरग' भी प्रयुक्त
-
तुरंगम
घोड़ा
-
तुरग
घोड़ा, अश्व
-
दीप्त
प्रकाशित, आलोकित
-
दुर्मुख
कटुभाषी
-
नखी
वह जानवर जो नाख़ूनों से किसी पदार्थ को चीर या फाड़कर खाता हो, शेर जैसे- चीता, शेर आदि
-
नर
पुरूष परमात्मा, विष्णु, नरकट
-
नाहर
सिंह
-
पंचशिख
एक मुनि जो महाभारत के अनुसार महर्षि कपिल के पुत्र थे, कपिल मुनि की शिष्य-परंपरा में से एक आचार्य
-
पंचानन
जिसके पाँच मुँह हों, पंचमुखी
-
पंचास्य
पाँच मुखों वाला; पँचमुखी; पंचानन
-
पशुनाथ
शिव
-
पशुराज
सिंह
-
पारींद्र
सिंह
-
पिंगल
ताँबे के रंग का, पीला, पीत
-
पुंडरीक
श्वेत कमल
-
प्रार्थी
याचक
-
बाघ
बघर्रा , चीता; लकड़बग्घा
-
भीम
विशालकाय, भय उपजाने वाला
-
महानाद
हाथी
-
मानी
अहंकारी, घंमड़ी
-
मृगनाथ
सिंह, शेर
-
मृगपति
सिंह, शेर
-
मृगराज
सिंह
-
मृगारि
सिंह
-
मृगेंद्र
सिंह
-
राजस्कंध
घोड़ा
-
वनराज
वन का राजा , सिंह ; विशाल वृक्ष ; घना जंगल
-
वाज
घृत, घी
-
विक्रम
बल या पौरुष की अधिकता
-
विक्रांत
विक्रमशाली, पराक्रमी
-
वीती
एक प्राचीन ऋषि का नाम
-
वृषण
कुंती का सबसे बड़ा पुत्र जो बहुत दानी था और जिसके जन्म लेते ही कुंती ने उसे त्याग दिया था, कर्ण
-
वृषल
हिंदुओं के चार वर्णों में से चौथे और अंतिम वर्ण का व्यक्ति
-
व्याघ्र
सर्वोत्तम, श्रेष्ठ, प्रधान
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
© 2024 Rekhta™ Foundation. All Right Reserved.
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा