मोह के पर्यायवाची शब्द
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अंधकार
अन्धकार, अंधेरा
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अचेत
संज्ञा रहित
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अचेतावस्था
रोग, भय, शोक आदि से उत्पन्न वह अवस्था जिसमें प्राणी निश्चेष्ट या संज्ञाहीन हो जाता है
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अचैतन्य
जिसमें चेतना या चैतन्य न हो, चेतनारहित, आत्माविहीन, जड़
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अज्ञान
बोध का अभाव, जड़ता, मूर्खता, मोह, अनजानपन
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अधिकार
कार्य का भार, हक, कब्जा, स्वामित्व, प्रभुत्व, अधिपत्य, अधीन क्षेत्र, स्म्पत्ति, स्ववश
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अनुराग
प्रेम,आसक्ति
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अपनापन
अपनायत, अत्मीयता, घनिष्ठता
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अभिमान
अहंकार, गर्व, दर्प, घमंड, अहंकार, मद, गुमान, नाज़, किसी वस्तु या बात के बारे में मन में उठनेवाला वह भाव जिसके कारण महत्व प्राप्त हो या अभिमान किया जा सके
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अविद्या
अज्ञान
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अशुद्धि
अपवित्रता, गंदगी
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आत्मीयता
अपनायत, स्नेह-संबंध, मैत्री, अपनापन, आपसदारी का संबंध, घनिष्ठता
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आसक्ति
अनुरक्ति, लिप्तता, आसक्त होने की क्रिया अवस्था या भाव
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उल्लू
उलूक,
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कश्मल
मोह, मूर्च्छा, बेहोशी
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क्रोध
चित्त का वह तीव्र उद्वेग जो किसी अनुचित और हानिकारक कार्य को होते हुए देखकर उत्पन्न होता है और जिसमें उस हानिकारक कार्य करनेवाले से बदला लेने की इच्छा होती है , कोप , रोष , गुस्सा
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खल
क्रूर, कठोर
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गर्व
अभिमान
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ग़लतफ़हमी
किसी की कही हुई बात का अर्थ या आशय कुछ का कुछ समझ लेना, किसी ठीक बात को गलत समझना, कोई बात समझने में होने वाला धोखा, भ्रम
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तपा
एक नक्षत्र जिसमें सर्वाधिक गर्मी पड़ती है, ऐसा माना जाता है कि तपा में जितनी तेज गर्मी पडेगी वर्षा उतनी ही अच्छी होगी,
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तमस्
गर्मी, ऊमस, वायु की अल्पता से गर्मी का बढ़ जाना।
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तामस
क्रोध
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धोखा
छल, कपट, भुलावा; धूर्त्तता, चालाकी; गलत आश्वासन; धोखा उत्पन्न करने वाली वस्तु, छलावा, माया; अज्ञान, नावाकिफ होने का भाव; जोखिम; भूल, चूक
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पाप
वह कर्म जिसका फल इस लोक और परलोक में अशोक हो , वह आचरण जो अशुभ अदृष्ट उत्पन्न करे , कर्ता का अघःपात करनेवाला कर्म , ऐसा काम जिसका परिणाम कर्ता के लिये दुःख हो , ब्यक्ति और समाज के लिये अहितकर आचरण , धर्म या पुण्य का उलटा , बुरा काम , निंदित काम , अकल्याणकर कर्म , अनाचार , गुनाह
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प्रमाद
रोच, सङ्कोच
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बेहोशी
बेहोश होने का भाव, मूर्छा, अचेतनता
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भूल
भूलने का भाव
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भ्रम
किसी पदार्थ को और का और समझना , किसी चीज या बात को कुछ का कुछ समझना , मिथ्या ज्ञान , भ्रांति , धोखा
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भ्रमण
यात्रा , घुमने फिरने की क्रिया , पर्यटन , विचरण
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भ्रांति
भ्रम, धोखा
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ममता
ममत्व, अपनापन, लोभ, मोह
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ममत्व
अपन थिक एहन भावना आ नज्जन्य अनुराग/दया
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माघ
कुंद का फूल
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मूर्च्छा
प्राणी की वह अवस्था जिसमें उसे किसी बात का ज्ञात नहीं रहता, वह निश्चेष्ट पड़ा रहता है , संज्ञा का लोप , अचेत होना , बेहोशी
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लगाव
आत्मीयता, मोह, प्रेम, स्नेह, जुड़ाव।
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लोभ
लालच, चाह, लालसा।
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व्यामोह
माया, भान्ति, मिथ्या आशा
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शंका
सन्देह
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शोक
दुःख, व्यथा, इष्ट वस्तु या प्रिय व्यक्ति के नाश से मन में बार-बार उठने वाली पीड़ा, मनःपीड़ा
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संज्ञाहीनता
संज्ञाहीन होने का गुण, भाव या स्थिति
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संदेह
वह ज्ञान जो किसी पदार्थ की वास्तविकता के विषय में स्थिर न हो, किसी विषय में ठीक या निश्चित न होने वाला मत या विश्वास, मन की वह अवस्था जिसमें यह निश्चय नहीं होता कि यह चीज़ ऐसी ही है या और किसी प्रकार की, निश्चय का अभाव, अनिश्चयात्मक ज्ञान
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सर्प
साँप , नाग
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स्नेह
प्रेम, प्रणय, प्यार, मुहब्बत, मित्रता
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स्वार्थ
'स्वार्थ'
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