नाक के पर्यायवाची शब्द
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अंतरिक्ष
पृथ्वी और सूर्या आदि लोकों के बीच का स्थान, पृथ्वी और अन्य ग्रहों के चारों ओर का स्थान, कोई दो ग्रहों या तारों के बीच का शून्य स्थान, आकाश, अधर, रोदसी, शून्य
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अंबर
खुले स्थान में ऊपर की ओर दिखाई देने वाला खाली स्थान, आकाश, आसमान
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अक्षर
अच्युत, स्थिर, अविनाशी, नित्य
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अनंत
जिसका अंत न हो, जिसका पार न हो, असीम, बेहद, अपार
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अपना
जिसके साथ बहुत अधिक आत्मी यता या घनिष्ठता का व्यवहार या संबंध हो, निज का
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अपरलोक
शरीर छोड़ने पर आत्मा को प्राप्त होने वाला लोक, अन्य या दूसरा लोक, परलोक, स्वर्ग
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अब्द
दास, सेवक, गुलाम, अनुचर, भक्त
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अभ्र
मेघ
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अमरलोक
देवलोक , स्वर्ग
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अमरावती
देवताओं की पुरी, इंद्रपुरी, सुरपुरी
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अमृतलोक
स्वर्ग, अमरलोक, हिंदुओं के अनुसार सात लोकों में से वह जिसमें पुण्य और सत्कर्म करने वालों की आत्माएँ जाकर निवास करती हैं
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अम्र
आम्र
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अर्णव
समुद्र
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अर्श
पापयुक्त, दुर्भाग्य लानेवाला
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अवकाश
स्थान , जगह
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अवरोह
उतार , गिराव
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अव्यय
सदा एकरस रहने वाला, अक्षय
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आँख
आँख का दृष्टि-क्षेत्र या दृष्टि-सीमा या जहाँ तक आँख से देखा जा सकता हो
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आकाश
सुनसान, रहित ज्ञानशून्य-ज्ञानरहित
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आसमान
आकाश, गगन, आसमाँ
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इंद्रिय
वह शक्ति जिससे बाहरी विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है, वह शक्ति जिससे बाहरी वस्तुओं के भिन्न-भिन्न रूपों का भिन्न-भिन्न रूपों में अनुभव होता है
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इड़ा
पृथ्वी
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ऊर्ध्वलोक
आकाश , २ स्वर्ग
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ऋभुक्ष
इंद्र
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करण
व्याकरण में वह कारक जिसके द्वारा कर्ता क्रिया को सिद्ध करता है, जैसे—छड़ी से साँप मारो, इस उदाहरण में 'छड़ी' 'मारने' का साधक है अतः उसमें करण का चिन्ह 'से' लगाया गया है
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कान
श्रवणेन्द्रिय
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कुंडली
जलेबी
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कैलास
हिमालय की एक चोटी का नाम
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ख
मालवी एवं देवनागरी वर्णमाला का व्यंजन
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खगोल
आकाश मंडल
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गगन
आसमान, आकाश, नभ, व्योम, अंतरिक्ष, आकाशस्थ ईश्वर या देव, खुले स्थान में ऊपर की ओर दिखाई देने वाला खाली स्थान, आकाश
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गम
राह, मार्ग, रास्ता
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गय
घर, मकान
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गयशिर
अंतरिक्ष, आकाश
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गो
गाय।
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गोपुर
नगर का द्वार, शहर का फाटक
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गोलोक
विष्णु या कृष्ण का निवासस्थान
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गोलोक
श्रीकृष्ण का बाँसस्थान, स्वर्ग, बैकुंठ
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गौ
गाय
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ग्रहनेमि
चंद्रमा के मार्ग का वह भाग जो मूल और मृगशिरा नक्षत्रों के बीच में पड़ता है
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घोणा
नासिका, नाक
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घ्राण
नासिका , नाक ; सुगंधि
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घ्राणेंद्रिय
सूँघने की इंद्रिय अर्थात् नाक, नासिका
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चक्राकार
पहिए के आकार का, वृत्ताकार, मंडलाकार, गोल, चक्रिल
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छायापथ
असंख्य नक्षत्रों का विशिष्ट समूह जो हमें उत्तर से दक्षिण की ओर फैला हुआ दिखाई देता है, आकाशगंगा, आकाश जनेऊ, हाथी की डहर
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ज्ञानेंद्रिय
वे इंद्रियाँ जिनसे जीवों क्रो विषयों का बोध या ज्ञान होता है , ज्ञानोंद्रियाँ पाँच हैं,-दर्शनें— द्रिय, श्रवणेंद्रिय, घ्रणोंद्रिय, रसना और स्पर्शेंद्रिय
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ज्योतिष्पथ
आकाश, अंतरिक्ष
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तविष
वृद्ध, महत्
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तारापथ
आकाश
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तारायण
आकाश
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