निर्विकार के पर्यायवाची शब्द
-
अंतर्यामी
ईश्वर, परमात्मा, चैतन्य, पर्मश्वर, पुरुष
-
अकालपुरुष
परमात्मा, ईश्वर, परम ब्रह्म
-
अक्षय
जिसका क्षय न हो, अनश्वर, सदा बना रहने वाला, कभी न चुकने वाला
-
अक्षर
अच्युत, स्थिर, अविनाशी, नित्य
-
अगोचर
जो इन्द्रियों के द्वारा न जाना जा सके, इन्द्रियातीत,
-
अच्युत
च्युत न होने वाला , स्थिर , नित्य , अमर , अविनाशी
-
अज
जिसका जन्म न हो, जन्म के बंधन से रहित, अजन्मा, स्वयंभू
-
अज्ञेय
न जानने योग्य, जो समझ में न आ सके, बुद्धि की पहुँच के बाहर का, ज्ञानातीत, बोधागम्य
-
अनंत
जिसका अंत न हो, जिसका पार न हो, असीम, बेहद, अपार
-
अनादि
जिसका आदि न हो, आदि रहित, जिसका आदि या आरंभ न हो
-
अपरिवर्तनशील
जो परिवर्तनशील न हो या ज्यों का त्यों रहने वाला
-
अविकार
जिसके रूप आकार में कोई परिवर्तन न होता हो, जिसमें विकार न हो, विकाररहित, निर्दोष, अपरिवर्तनीय
-
अव्यय
सदा एकरस रहने वाला, अक्षय
-
असंग
जिसके साथ कोई और न हो, बिना साथ का, अकेला, एकाकी
-
आनंदकंद
आनंद की जड़
-
ईश
स्वामी , मालिक
-
ईश्वर
कलेश, कर्म विपाक, अलस पुरुष, परमेश्वर, भगवान्, मालिक, स्वामी
-
कूटस्थ
सर्वोच्च पद पर स्थित ; अटल अचल ; अविनाशी
-
चिदानंद
चैतन्य और आनंदमय परब्रह्म
-
चिन्मय
चेतनासंपन्न, जो ज्ञान से भरा हुआ हो, पूर्ण तथा विशुद्ध ज्ञानमय, ज्ञानस्वरूप
-
चैतन्य
चित् स्वरूप, आत्मा ज्ञान
-
जगदीश
परमेश्वर
-
जगन्नाथ
परमेश्वर, पुरी (उड़ीसा) में स्थापित विष्णु मूर्ति, अंग्रेजी में—'जग्गरनौट' का अर्थ है कोई विनाशकारी ऐसी शक्ति जो भक्ति या बलिदान से प्राप्त की जाये और सब कुछ जगन्नाथ के रथ के पत्थर के पहियों के नीचे कुचल कर नष्ट हो जाये
-
ठाकुर
देवालय, मंदिर; विष्णु मंदिर, वैष्णव मंदिर
-
नियामक
नियम या व्यवस्था करने मिथ्या
-
निराकार
बिना आकार का ; भद्दा , कुरूप ; विनम्र
-
निर्गुण
जो सत्, रज और तम तीन गुणों से परे हो, त्रिगुणातीत
-
निर्लेप
विषयों आदि से अलग रहने वाला, निर्लिप्त
-
निस्पृह
स्पृहारहित
-
निस्संग
अकेला, जो किसी के साथ न हो, जो किसी से लावलपट न रखता हो
-
परब्रह्म
ब्रह्म जो जगत से परे है, निर्गुण निरुपाधि ब्रह्म
-
परम
जो सबसे उच्च या उत्कृष्ट हो
-
परमात्मा
परमात्मा
-
परमेश्वर
दे० 'परम'
-
परात्पर
जिसके परे या जिससे बढ़कर कोई दूसरा न हो, सर्वश्रेष्ठ
-
पिता
जनक बाप
-
पूर्णानंद
परमेश्वर
-
प्रणव
ॐकार
-
प्रभु
स्वामी , मालिक ; ईश्वर
-
ब्रह्म
सच्चिदानंद स्वरूप जगत का मूल तत्त्व. 2. सत्य. 3. वेद
-
भगवान
ईश्वर।
-
विभु
सर्वव्यापी (परमेश्वर)
-
विश्वंभर
दे० 'विष्णु'
-
शक्तिशाली
जिसमें बल या शक्ति हो या जोरदार
-
सच्चिदानंद
सत्य और चित् से युक्त ब्रह्म
-
सत्यपुरुष
ईश्वर, परमात्मा
-
सदानंद
वह जो सदा आनंद में रहे
-
सदानन्द
जिसका चित्त प्रसन्न हो
-
साईं
स्वामी, मालिक, प्रभु
-
साईं
महाराष्ट्र के एक सुप्रसिद्ध संत जो भगवान के रूप में पूजे जाते हैं
सब्सक्राइब कीजिए
आपको नियमित अपडेट भेजने के अलावा अन्य किसी भी उद्देश्य के लिए आपके ई-मेल का उपयोग नहीं किया जाएगा।
© 2024 Rekhta™ Foundation. All Right Reserved.
क्या आप वास्तव में इन प्रविष्टियों को हटा रहे हैं? इन्हें पुन: पूर्ववत् करना संभव नहीं होगा