न्याय के पर्यायवाची शब्द
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आचार
सब्जी या फल को सुखाकर धूप में पकाते हुए तेल मशाला मिलाकर बनाया गया व्यंजन, नियम, आचरण, अनुष्ठान
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इंसाफ़
न्याय, अदल
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ईमान
ईमानदारी, छलकपटन करने की प्रवृत्ति, अच्छी नीयत
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उचित
औचित्यपूर्ण, योग्य , ठीक , उपयुक्त , मुनासिब , वाजिब
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उपक्रम
पोषित प्रतिष्ठान, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, उद्यम
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उपनिषद्
वेद की शाखाओं के ब्राह्मणों के वे अंतिम भाग जिनमें ब्रह्मविद्या अर्थात् आत्मा, परमात्मा आदि का निरूपण रहता है, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण श्रुति धर्म ग्रंथ जिनमें ब्रह्म और आत्मा आदि के स्वभाव और संबंध का बहुत ही दार्शनिक और ज्ञानपूर्वक वर्णन है
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औचित्य
उचित होएब
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कर्तव्य
करने योग्य कार्य , करणीय कर्म , उचित कर्म , धर्म , फर्ज , जैसे,—बड़ों की सेवा करना छोटों का कर्तव्य है
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चरित्र
चालि, आचरण, चर्या, वैशिष्ट्य
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दीन
धर्म, (दीन दुनिया में प्रयुक्त) कहा.दीन
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धर्म
किसी व्यक्ति के लिए निश्चित किया गया कार्य-व्यापार; कर्तव्य
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नदी
नदी , सरिता
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नय
नहीं नाकारात्म शब्द
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निक्षिप्त
फेकला
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निबटारा
निबटने की भावना या क्रिया, निबटेरा
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नियम
विधि या निश्चय के अनुकूल प्रातिबंध, परिमिति, रोक, पाबंदी, नियंत्रण
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निर्णय
औचित्य और अनौचित्य आदि का विचार करके किसी विषय के दो पक्षों में से एक पक्ष को ठीक ठहराना, किसी विषय में कोई सिद्धांत स्थिर करना, निश्चय
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निसृष्ट
छोड़ा हुआ, जो छोड़ दिया गया हो, त्यागा हुआ
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नीति
युक्ति उपाय, चाल, राजनीति, आचार पद्धति समाज का कल्याण करने वाली व्यवहार नीति, राजा और प्रजा दोनों केलिये निर्धारण की व्यस्था
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नैतिकता
नैतिक होने की अवस्था या भाव
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पद्धति
मार्ग ; कार्य प्रणाली ; परिपाटी ; ढंग ; पंक्ति
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परिपाटी
प्रचलित परम्परा, प्रथा, रूढ़ि
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प्रकृति
किसी पदार्थ या प्राणी का वह विशिष्ट भौतिक सारभूत तथा सहज व स्वाभाविक गुण जो उसके स्वरूप के मूल में होता है और जिसमें कभी कोई परिवर्तन नहीं होता, मूल या प्रधान गुण जो सदा बना रहे, तासीर
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फै़सला
किसी व्यवहार या अभियोग के संबंध में न्यायालय की व्यवस्था, किसी मुक़दमे में अदालत की आख़िरी राय, न्यायकर्ता द्वारा दी जाने वाली व्यवस्था
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भक्ति
सेवा, पूजा, श्रद्धा, आस्था, आदर भाव, उपासना, शास्त्र में भक्ति नौ प्रकार की कही गई है यथा- श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद-सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य और आत्म निवेदन
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मज़हब
धार्मिक पन्थ
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मत
मति, बुद्धि, निषेधवाचक शब्द, विचार
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यथार्थ
ठीक, वाजिब, जैसे,— आपका कहना यथार्थ है
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युक्ति
उपाय, ढंग, तरकीब
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योग
दो अथवा अधिक पदार्थों का एक में मिलना, संयोग, मिलान, मेल
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रीति
ढँङ्ग , तरीक़ा, प्रकार
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विचारणा
विचार करने की क्रिया या भाव
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वैशेषिक
वैशेषिक दर्शन-संबंधी
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व्यवस्था
प्रबन्ध, इन्तजाम
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व्यवहार
क्रिया, कार्य, काम
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षड्दर्शन
न्याय, मीमांसा आदि हिंदुओं के छहु दर्शन
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संप्रदाय
गुरुपरंपरागत उपदेश, गुरुमंत्र
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संप्रदाय
गुरुपरंपरागत उपदेश, गुरुमंत्र
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सांख्य
छह भारतीय दर्शनों में से एक जिसके प्रतिपादक महर्षि कपिल थे, इसमें सृष्टि को उत्पत्ति के क्रम की चर्चा है तथा जड़, प्रकृति और चेतन पुरुष को जगत का मूल माना गया है
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सिद्धांत
भलीभाँति सोच विचार कर स्थिर किया हुआ मत , वह बात जिसके सदा सत्य होने का निश्चय मन में हो , उसूल
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सौजन्य
सुजन का भाव, सुजनता, भलमनसत
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स्वभाव
सदा बना रहने वाला मूल या प्रधान गुण , तासीर , जैसे,—जल का स्वभाव शीतल होता है
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