पर्वत के पर्यायवाची शब्द
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अग
न चलने वाला स्थावर
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अचल
स्थिर, निश्चल
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अटल
स्थिरत, दृढ़, निश्चल
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अदद
संख्या, सामान
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अद्रि
पहाड़, पर्वत , शैल , अचल , भूमि का बहुत ऊँचा भाग , पथरीला और ऊँचा स्थान
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अहार्य
जिसे चकमा देकर या धन आदि का लालच देकर वश में न किया जा सके, जो धन या घूस के लोभ में न आ सके
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आत्मा
आत्मा
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आदित्य
अदिति के पुत्र सूर्य
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उन्नत
ऊँचा, ऊपर उठा हुआ
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ऊँचा
बहुत बड़ा या विशेष ऊँचाई का या जिसका विस्तार ऊपर की ओर अधिक हो, जो दूर तक ऊपर की ओर गया हो , उठा हुआ , उन्नत , बुलंद , जैसे,—ऊँचा पहाड़ , ऊँचा मकान
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कटकी
पहाड़
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कर
हाथ, काम, महसूल, छल,चौबीस अंगुल की नाम संबंध कारक का चिन्ह
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कलकंठ
कोकिल, कोयल
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कारंडव
बतख़ या हंस की जाति का एक पक्षी
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कीलक
खूँटी , कील
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कुट्टार
कंबल, ओढ़ने का ऊनी वस्त्र
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कुधर
पहाड़, पर्वत, भूधर
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कूट
पहाड़ की ऊँची चोटी
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केदार
हिमालय की एक सुप्रसिद्ध चोटी जिसमें विश्व विख्यात केदारनाथ मन्दिर स्थित है, शिव का द्वादश लिंग, शंकराचार्य का समाधि स्थल, चार प्रसिद्ध धामों में से एक तीर्थ-स्थान; शिव का एक नाम
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कोह
बदला, कसर
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गिरि
पर्वत , पहाड़
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गुरु
अध्यापक, आचार्य, धर्मगुरु
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गोत्र
संतति , संतान
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ग्राव
पत्थर
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चक्रांग
चकवा
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जीमूत
मेघ, पर्वत, पहाड़
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ढेर
नीचे ऊपर रखी हुई बहुत सी वस्तुओं का समूह जो कुछ ऊपर उठा हुआ हो, राशि, अटाला, अंबार, गंज, टाल, क्रि॰ प्र॰—करना, —लगाना
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तुंग
उन्नत, ऊंचा
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तुरही
मुँह से फूँक कर बजाने का एक बाजा, दुंदुभि, जुझारु बाजा, रणसींघा, सींघा
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दरीभृत
पर्वत, पहाड़, भूमि का बहुत ऊँचा, ऊबड़-खाबड़ और प्रायः पथरीला प्राकृतिक भाग
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दाँव
बार, मर्तबा 2. कार्य सिद्धि का उपयुक्त अवसर, मौका, सुयोग 3. इष्टसाधन का उपाय, युक्ति 4. छलने की चाल 5. जुए आदि के खेल में जिताने वाली चाल 6. खेलने की बारी
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धर
पर्वत, पहाड़ वि धारण करने वाला
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धराधर
पुराणों के अनुसार हज़ार फनों वाला वह नाग जिसके फनों पर यह पृथ्वी ठहरी हुई है, शेषनाग
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धराधर
वह जो पृथ्वी को धारण करे, राजा
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नंदिकेश्वर
शिव के द्वारपाल बैल का नाम
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नग
न गमन करनेवाला, न चलने फिरनेवाला, अचल, स्थिर
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नगीना
रत्न, हीरे-जवाहर; अदद, संख्या
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नाकु
दीमक की मिट्टी का ढूह, वेमौट, वल्मीक
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पयोधर
स्तन
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परमात्मा
परमात्मा
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पहाड़
पर्वत ; ढेर , राशि
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पुरुदंशक
हंस
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पृथुशेखर
पहाड़, पर्वत, भूमि का बहुत ऊँचा, ऊबड़-खाबड़ और प्रायः पथरीला प्राकृतिक भाग
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पेड़
जो चुका दिया गया हो, जो चुकता कर दिया गया हो
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प्राण वायु
प्राण
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फलिक
पहाड़, पर्वत
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ब्रह्म
सच्चिदानंद स्वरूप जगत का मूल तत्त्व. 2. सत्य. 3. वेद
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भानु
सूर्य
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भूधर
पर्वत
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भूभृत्
राजा
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